Health: दुनिया में ऐसे कई लोग होते हैं जिन्हें किसी न किसी चीज से डर लगता है। किसी को पानी से डर लगता है, किसी को ऊंचाई से डर लगता है तो वहीं किसी को अंधेरे से डर लगता है। यह सारे ही डर सुनने में बेहद ही आम लगते हैं लेकिन उनके पीछे कुछ ना कुछ जुड़ा होता है, यह दर व्यक्ति की दिनचर्या को प्रभावित करते हैं। आज हम खास तौर पर अंधेरे के डर के बारे में जिक्र करेंगे।
अंधेरे से डरना एक आम बात है, लेकिन जब यह डर इतना गहरा हो जाए की व्यक्ति की दिनचर्या प्रभावित होने लगे तो उसे निक्टोफोबिया (Nyctophobia) कहा जाता है। निक्टोफोबिया (Nyctophobia) एक मानसिक विकार है। जिसमें व्यक्ति अंधेरे के बारे में सोच कर ही घबरा जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में अंधेरे में अकेले रहने से डरना, नींद ना आना, सांस लेने में तकलीफ होना और दिल की धड़कन का बढ़ना शामिल होता है। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो इसे मामूली ना समझें बल्कि डॉक्टर की सलाह लें।
निक्टोफोबिया (Nyctophobia) के लक्षण
अत्यधिक चिंता और घबराहट: अंधेरे में होने या अंधेरे के बारे में सोचने पर हृदय गति बढ़ जाती है। सांस लेने में कठिनाई होती है और शरीर कांपने लगता है।
शारीरिक लक्षण: पसीना आना, मुंह का सूखना, मतली, चक्कर आना और पाचन तंत्र की गड़बड़ी जैसे शारीरिक लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं।
नींद की समस्याएं : अंधेरे में सोने से डर लगने के कारण अनिद्रा या भर-भर जागने वाली बीमारी हो सकती है।
पैनिक अटैक: अंधेरे में होने पर पैनिक अटैक आना जिसमें अचानक घबराहट और शारीरिक लक्षणों का अनुभव होता है। व्यवहार में बदलाव अंधेरे से बचने के लिए रोशनी जलाकर रखना या अंधेरे कमरे में जाने से बचना।
कैसे करें बचाव
अंधेरे से डरने की समस्या यानी निक्टोफोबिया (Nyctophobia) से उभरने के लिए कुछ आसान से उपाय अपनाया जा सकते हैं। सोने से पहले डरावनी फिल्में देखने या अंधेरे से जुड़ी खबरें पढ़ने या सुनने से बचें, क्योंकि इससे आपका डर और बढ़ सकता है। इसके बजाय हल्की-फुल्की किताबें पढ़ें, धार्मिक संगीत सुनें या कोई शांत गतिविधि करें। धीरे-धीरे अंधेरे में रहने की कोशिश करें, सोते समय कमरे में हल्दी रोशनी रखें और फिर धीरे-धीरे इस काम करते जाएं। योग और ध्यान करने से मन शांत होता है और डर कम होता है।
डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।