अंधेरे से लगता है डर? कहीं ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत तो नहीं, जानें

Health: अंधेरे से डर लगना एक सामान्य प्रतिक्रिया हो सकती है, लेकिन अगर यह डर अत्यधिक हो और आपकी दिनचर्या को प्रभावित करने लगे, तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है।

भावना चौबे
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Health: दुनिया में ऐसे कई लोग होते हैं जिन्हें किसी न किसी चीज से डर लगता है। किसी को पानी से डर लगता है, किसी को ऊंचाई से डर लगता है तो वहीं किसी को अंधेरे से डर लगता है। यह सारे ही डर सुनने में बेहद ही आम लगते हैं लेकिन उनके पीछे कुछ ना कुछ जुड़ा होता है, यह दर व्यक्ति की दिनचर्या को प्रभावित करते हैं। आज हम खास तौर पर अंधेरे के डर के बारे में जिक्र करेंगे।

अंधेरे से डरना एक आम बात है, लेकिन जब यह डर इतना गहरा हो जाए की व्यक्ति की दिनचर्या प्रभावित होने लगे तो उसे निक्टोफोबिया (Nyctophobia) कहा जाता है। निक्टोफोबिया (Nyctophobia) एक मानसिक विकार है। जिसमें व्यक्ति अंधेरे के बारे में सोच कर ही घबरा जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में अंधेरे में अकेले रहने से डरना, नींद ना आना, सांस लेने में तकलीफ होना और दिल की धड़कन का बढ़ना शामिल होता है। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो इसे मामूली ना समझें बल्कि डॉक्टर की सलाह लें।

निक्टोफोबिया (Nyctophobia) के लक्षण

अत्यधिक चिंता और घबराहट: अंधेरे में होने या अंधेरे के बारे में सोचने पर हृदय गति बढ़ जाती है। सांस लेने में कठिनाई होती है और शरीर कांपने लगता है।

शारीरिक लक्षण: पसीना आना, मुंह का सूखना, मतली, चक्कर आना और पाचन तंत्र की गड़बड़ी जैसे शारीरिक लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं।

नींद की समस्याएं : अंधेरे में सोने से डर लगने के कारण अनिद्रा या भर-भर जागने वाली बीमारी हो सकती है।

पैनिक अटैक: अंधेरे में होने पर पैनिक अटैक आना जिसमें अचानक घबराहट और शारीरिक लक्षणों का अनुभव होता है। व्यवहार में बदलाव अंधेरे से बचने के लिए रोशनी जलाकर रखना या अंधेरे कमरे में जाने से बचना।

कैसे करें बचाव

अंधेरे से डरने की समस्या यानी निक्टोफोबिया (Nyctophobia) से उभरने के लिए कुछ आसान से उपाय अपनाया जा सकते हैं। सोने से पहले डरावनी फिल्में देखने या अंधेरे से जुड़ी खबरें पढ़ने या सुनने से बचें, क्योंकि इससे आपका डर और बढ़ सकता है। इसके बजाय हल्की-फुल्की किताबें पढ़ें, धार्मिक संगीत सुनें या कोई शांत गतिविधि करें। धीरे-धीरे अंधेरे में रहने की कोशिश करें, सोते समय कमरे में हल्दी रोशनी रखें और फिर धीरे-धीरे इस काम करते जाएं। योग और ध्यान करने से मन शांत होता है और डर कम होता है।

डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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