भारत सहित दुनिया भर में डायबिटीज एक ऐसी बीमारी बन चुकी है जो लगभग 80 फ़ीसदी लोगों को हो जाती है। ऐसे कई सारे कारक हैं जो डायबिटीज के लिए उत्तरदायी हैं, जिनमें से एक अकेलापन भी है। क्योंकि यह एक सोशल कंडीशन नहीं, बल्कि सेहत को नुकसान पहुंचाने वाला गंभीर मामला है।
अकेलेपन के कारण अक्सर लोग डिप्रेशन या फिर एंजायटी जैसी परेशानियों का सामना करते हैं। वहीं, एक रिसर्च में यह भी सामने आया है कि अकेलेपन के कारण डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है।
गंभीर मामला!
अकेलापन मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर, शुगर के खतरे को भी बढ़ा देता है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से। Endo 2025 में एक मेडिकल रिसर्च प्रस्तुत किया गया, जिसमें यह पाया गया कि जो लोग सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करते हैं, लोगों से दूरी बनाकर रखते हैं, उनमें डायबिटीज का जोखिम ज्यादा पाया गया है। कोविड-19 महामारी के बाद अकेलेपन की समस्या में इजाफा देखने को मिला है, जिस कारण यह बुजुर्गों और महिलाओं के लिए गंभीर मामला बन चुका है।
जानें कनेक्शन
अब हम आपको यह बता दें कि अकेलेपन और डायबिटीज में क्या कनेक्शन है। दरअसल, अकेलापन शरीर में स्ट्रेस हार्मोन को बढ़ाता है, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाता है। अकेले जीवन यापन करने वाले लोग लाइफस्टाइल पर ध्यान नहीं देते और समय पर खाना नहीं खाते, न ही समय पर सोते हैं। फिजिकल एक्टिविटी की कमी के कारण डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इन दोनों का कनेक्शन बहुत ही गहरा है।
बचाव
- यदि आप अकेलेपन को खुद से दूर रखना चाहते हैं, तो आपको सोशल कनेक्टिविटी बनाए रखने की जरूरत है। परिवार और दोस्तों से बातचीत करते रहें, आप फोन पर वीडियो कॉल या फिर चैट भी कर सकते हैं।
- इसके अलावा आप योगा क्लास, बुक क्लब्स, लाइब्रेरी आदि ज्वाइन कर सकते हैं। आप घर में जानवर को पाल सकते हैं, जिससे अकेलापन कम होगा। यह तनाव को कम करने के साथ ही फिजिकल एक्टिविटी को भी बढ़ावा देते हैं।
- अकेलेपन और डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारियों से दूर रहने के लिए नियमित एक्सरसाइज करते रहना चाहिए। इसके लिए आपको खेल या फिर डांस जैसी एक्टिविटी करनी है, जिससे आपका मूड भी बेहतर होगा।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)





