Mustard Oil In Nose : सरसों के तेल के औषधीय गुणों के कारण यह सर्दी-जुकाम से लेकर माइग्रेन, वात-पित्त और कफ समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। यह तेल एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल, और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। यह तेल नाक में डालने से नाक की सुजन और जुकाम में राहत मिलती है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण संक्रमण को कम करने में मदद करते हैं। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं…
सर्दी-जुकाम
सरसों के तेल में पाए जाने वाले एंटीबैक्टीरियल गुण और उष्णता मांद्य इसे सर्दी-जुकाम से निपटने में मदद करते हैं। इसे नाक में मलिये या मसाज करने से नाक से जमा अवशेष, जबान और गले की सूजन कम होती है और आपको राहत मिलती है।
माइग्रेन
सरसों के तेल को माथे पर लगाने या माथे की मालिश करने से माइग्रेन के दर्द में कमी आ सकती है। इसमें मौजूद तत्व दिमागी तनाव को कम करने में मदद करते हैं और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाते हैं।
वात-पित्त और कफ समस्याएं
सरसों के तेल का उपयोग वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित करने में मददगार हो सकता है। वात दोष के लिए, नाभि के चारों ओर गर्म सरसों के तेल की मालिश करने से शरीर की गर्मी बढ़ती है और वात दोष को कम किया जा सकता है। पित्त दोष के लिए, सरसों के तेल को नाभि पर लगाने से शरीर की ठंडक बढ़ती है और पित्त दोष को शांत करने में मदद मिलती है। सरसों के तेल की मालिश सीने और पीठ पर करने से कफ के संक्रमण और उसे बहने को रोका जा सकता है।
बंद नाक खोले
सरसों के तेल का उपयोग बंद नाक को खोलने के लिए भी किया जा सकता है। नाक में सरसों के तेल की दो बूंदें डालने से नाक की नलियों में मल को नर्म करके उसे बाहर निकालने में मदद मिलती है। इससे आपकी बंद नाक खुल जाती है और आपको आराम मिलता है। यह एक प्राकृतिक रूप से होने वाला उपचार है और इसका उपयोग अधिकांश लोग करते हैं जब वे बंद नाक की समस्या से पीड़ित होते हैं।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)