हिमाचल प्रदेश सरकार ने युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचाने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। अब प्रदेश के सभी स्कूलों में हर रोज़ सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान छात्रों को नशा-विरोधी शपथ दिलाई जाएगी। यह कदम राज्य को नशा-मुक्त बनाने की दिशा में उठाया गया है। सरकार ने यह निर्देश सभी स्कूल और कॉलेजों पर लागू किया है ताकि छात्रों में शुरू से ही नशे के खिलाफ जागरूकता विकसित की जा सके।
हिमाचल सरकार का बड़ा फैसला
राज्य के शिक्षा सचिव ने इस संबंध में सभी स्कूल प्रमुखों और कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को पत्र जारी कर स्पष्ट निर्देश दिए हैं। खास बात यह है कि 26 जून, जो कि अंतरराष्ट्रीय नशा निवारण दिवस के रूप में मनाया जाता है, उस दिन कॉलेजों को विशेष रूप से शपथ दोहराने के निर्देश दिए गए हैं। यह सुनिश्चित किया गया है कि यह प्रक्रिया केवल एक रस्म न बनकर रह जाए, बल्कि एक प्रभावशाली सामाजिक पहल के रूप में अपनाई जाए।
उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने इस फैसले को एक सामाजिक आंदोलन करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह शपथ छात्रों में नशे के प्रति प्रतिरोध, सामाजिक जिम्मेदारी और जागरूकता का भाव पैदा करेगी। उनके अनुसार, जब युवा स्वयं नशे के खिलाफ खड़े होंगे, तो समाज में निश्चित ही एक सकारात्मक बदलाव आएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह अभियान केवल स्कूलों और कॉलेजों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि समाज में व्यापक असर डालेगा।
शिक्षा विभाग ने आदेशों के सख्त अनुपालन के निर्देश भी जारी किए हैं। स्कूल और कॉलेज प्रशासन को इस नीति को पूरी गंभीरता से लागू करना होगा। सरकार की इस पहल का उद्देश्य एक स्वस्थ, जागरूक और नशामुक्त युवा पीढ़ी तैयार करना है, जो न केवल अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा बन सके।





