हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विधानसभा में कहा कि अब सरकारी विभागों का भी युक्तिकरण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कई विभागों में नीचे कर्मचारियों की कमी है लेकिन ऊपर अधिकारियों की भरमार है। एक ही विभाग में चार-चार प्रमुख अभियंता बैठे हैं। योग्यता के आधार पर अधिकारियों-कर्मचारियों को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी और विभागों को मर्ज भी किया जाएगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बिजली बोर्ड में युक्तिकरण की प्रक्रिया चल रही है और वन विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों को लोक निर्माण विभाग में शामिल किया गया है। यह जानकारी उन्होंने कांग्रेस विधायक केवल सिंह पठानिया द्वारा संसाधन जुटाने पर लाई गई चर्चा के जवाब में दी। इसी दौरान वित्तीय हालात को लेकर उनकी नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर से तीखी बहस भी हुई।
CM सुक्खू का बड़ा ऐलान
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आय के साधन जुटाने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में चुनाव से पहले 5,000 करोड़ रुपये लुटाए गए, लेकिन जनता ने उन्हें 25 सीटों पर ही समेट दिया। सीएम ने दावा किया कि भाजपा के समय शराब ठेकों से केवल 484 करोड़ रुपये की आय हुई थी, जबकि कांग्रेस सरकार ने ढाई साल में ही 629 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया। राज्य सरकार 2,400 करोड़ रुपये का एडीपी प्रोजेक्ट लेकर आई है। इसके अलावा शराब की बोतल पर 10 रुपये का मिल्क सेस लगाया गया है ताकि किसानों को फायदा पहुंचाते हुए दूध के दाम बढ़ाए जा सकें। गोबर तीन रुपये किलो खरीदा जा रहा है और होटलों की बिजली सब्सिडी भी बंद कर दी गई है।
सुक्खू ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में 5,000 बीघा जमीन मात्र एक करोड़ रुपये में बेच दी गई और रजिस्ट्री की फीस तक नहीं ली गई। उन्होंने बताया कि जीएसटी से हिमाचल को 3,000 से 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है और भाजपा राज्य पर 76 हजार करोड़ रुपये का कर्ज छोड़ गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि रिसोर्स मोबिलाइजेशन की वजह से राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 6.89 से बढ़कर 7.10 हुआ है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार नई नियुक्तियां करने जा रही है ताकि रोजगार के अवसर बढ़ सकें।
स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने पीजी डॉक्टरों का अलग कैडर बनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अब अस्पतालों में पीजी डॉक्टरों की तैनाती अलग व्यवस्था के तहत होगी, ताकि पद खाली न रह जाएं। आईजीएमसी शिमला, टांडा और नेरचौक में एमआरआई मशीनें स्थापित की जा रही हैं और मेडिकल कॉलेजों में कैथ लैब भी लगाई जाएगी। सरकार का मानना है कि इससे आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी और प्रदेश का स्वास्थ्य ढांचा और मजबूत होगा।





