भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रो.प्रेम कुमार धूमल ने राज्य सरकार द्वारा लॉटरी प्रणाली को पुनः शुरू करने के निर्णय की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि लॉटरी समाज के लिए एक अभिशाप है और इसी कारण उन्होंने व तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने कार्यकाल में इस पर प्रतिबंध लगाया था। धूमल ने इस फैसले को जनविरोधी और हिमाचल प्रदेश को बर्बादी की ओर ले जाने वाला बताया।
प्रो. धूमल ने अपने बयान में कहा कि 17 अप्रैल, 1996 को हाईकोर्ट ने प्रदेश में सिंगल डिजिट लॉटरी पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद वर्ष 1999 में जब वे मुख्यमंत्री बने तो भाजपा सरकार ने पूरे लॉटरी सिस्टम को बंद करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि उस समय लॉटरी की लत के कारण कर्मचारी, पेंशनर्स, मजदूर और युवा आर्थिक रूप से प्रभावित हो रहे थे। जिससे कई परिवार टूट गए।
प्रो. धूमल ने लॉटरी पुनः शुरू करने के फैसले की निंदा की
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2004 में कांग्रेस सरकार ने दोबारा लॉटरी शुरू की लेकिन बाद में वीरभद्र सिंह ने इसे फिर से पूरी तरह बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय जनहित को ध्यान में रखते हुए लिया गया था और स्वयं वीरभद्र सिंह ने भी माना कि लॉटरी सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से नुकसानदायक है।
लॉटरी प्रणाली को प्रदेश में लागू न किया जाए।
प्रो. धूमल ने चिंता जताई कि वर्तमान में प्रदेश में 2.31 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। जिनमें 1.60 लाख स्थायी कर्मचारी हैं। और 9 से 10 लाख बेरोजगार युवा हैं। उन्होंने कहा कि लॉटरी जैसी योजनाएं इन वर्गों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस निर्णय को वापस लिया जाए और लॉटरी प्रणाली को प्रदेश में लागू न किया जाए।





