हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश के मंदिरों में सालों से जमा अरबों रुपये के सोने और चांदी को आमदनी का जरिया बनाने का फैसला लिया है। अब इस कीमती धरोहर को गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत बैंकों में जमा किया जाएगा। इससे जो ब्याज मिलेगा, वह संबंधित मंदिर न्यास को मिलेगा और इसका उपयोग मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने में किया जाएगा। भाषा एवं संस्कृति विभाग ने इस संबंध में सभी मंदिर आयुक्तों और जिला उपायुक्तों को पत्र जारी कर निर्देश दिए हैं कि इस योजना पर चर्चा कर प्रस्ताव सरकार को भेजा जाए।
हिमाचल प्रदेश सरकार उठाने जा रही बड़ा कदम
जानकारी के अनुसार, प्रदेश के मंदिरों में फिलहाल 6 क्विंटल से अधिक सोना और 200 क्विंटल से ज्यादा चांदी जमा है। इस सोने और चांदी को शुद्ध कर बैंकों में जमा किया जाएगा। इसके लिए मंदिर न्यासों को कहा गया है कि वे अपनी बैठकों में प्रस्ताव पारित कर सरकार को स्वीकृति के लिए भेजें। खासतौर पर बाबा बालक नाथ मंदिर न्यास के पास 30.45 किलो सोना और 3.68 क्विंटल चांदी है। इस योजना की प्रति सभी संबंधित अधिकारियों को भेजी गई है और नजदीकी एसबीआई शाखा से संपर्क करने को भी कहा गया है।
इस योजना को लागू करने को लेकर एसबीआई शिमला के महाप्रबंधक और भाषा एवं संस्कृति विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हो चुकी है। बैठक में सोने के शुद्धिकरण और जमा प्रक्रिया पर चर्चा हुई, लेकिन चांदी के निपटान को लेकर फिलहाल कोई योजना सामने नहीं आई है। सोना मंदिर न्यास के अधिकारियों की मौजूदगी में शुद्धिकरण के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद बैंक एक प्रमाणपत्र जारी करेगा। इसी आधार पर मंदिर न्यास का खाता खोला जाएगा और उसी में ब्याज की राशि जमा होती रहेगी। चांदी को लेकर भी न्यासों को स्वयं निर्णय लेने के निर्देश दिए गए हैं।
बाबा बालक नाथ मंदिर न्यास के मंदिर अधिकारी संदीप चंदेल ने बताया कि विभाग से इस योजना पर पत्र प्राप्त हुआ है और न्यास की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि यह योजना प्रदेश के अन्य मंदिरों में लागू होती है, तो न्यास इसे सर्वसम्मति से लागू करेगा। इससे मंदिरों की आय बढ़ेगी और श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्थाएं हो सकेंगी।





