हिमाचल प्रदेश में आपदा प्रबंधन और राहत पैकेज को लेकर सियासत तेज हो गई है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि आपदा से निपटने का पहला दायित्व राज्य सरकार का होता है, लेकिन सरकार इस जिम्मेदारी को निभाने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि 2023 में टूटा पुल आज भी मलबे सहित पड़ा है। उस समय सरकार ने 4,500 करोड़ रुपये का आपदा राहत पैकेज घोषित किया था, लेकिन विधानसभा सत्र में पूछे जाने पर साफ हुआ कि 300 करोड़ रुपये भी खर्च नहीं हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री आवास के 93,000 घरों और मनरेगा के 1,000 करोड़ रुपये को भी पैकेज में शामिल कर लिया गया, लेकिन प्रभावितों को वास्तविक राहत नहीं मिल सकी।
जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि 2023 से अब तक हिमाचल को एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के तहत 5,150 करोड़ रुपये मिले हैं। बावजूद इसके, कई प्रभावित परिवारों को मकान निर्माण की एक किस्त भी पूरी तरह नहीं मिली। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बार-बार यह कहते हैं कि केंद्र पैसा नहीं दे रहा, जबकि हकीकत यह है कि केंद्र से आया पैसा सरकार के अन्य खर्चों में इस्तेमाल किया जा रहा है। जयराम ने भुंतर के जिया इलाके का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां भारी नुकसान हुआ, लेकिन लोगों को अब तक राहत नहीं दी गई।
जयराम ठाकुर ने साधा सरकार पर निशाना
उन्होंने आगे कहा कि लाहौल घाटी में सब्जियां खेतों में ही सड़ रही हैं। पांच सितंबर को मुख्यमंत्री कुल्लू-मनाली दौरे पर गए लेकिन मात्र औपचारिकता निभाकर लौट आए। कुल्लू-मनाली हाईवे बहाली के लिए 145 मशीनें लगाई गई हैं, लेकिन काम की गति बेहद धीमी है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी हाईवे निर्माण में लगी कंपनियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। जयराम ठाकुर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मांग की कि वे हिमाचल का दौरा कर आपदा से हुए नुकसान का जायजा लें। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में बार-बार आपदाओं की बड़ी वजह डंपिंग साइट्स भी हैं, इसलिए प्रदेश सरकार को प्रभावित परिवारों के लिए घर बनाने की स्पष्ट नीति तैयार करनी चाहिए।
इसी बीच, केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा कि पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार ने हिमाचल को 54,662 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक सहायता दी है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत महायज्ञ में हिमालयी राज्यों की अहम भूमिका होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है और इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि हिमालय का महत्व वही समझ सकता है, जिसने हिमालय की दिव्यता और आध्यात्मिकता का अनुभव किया हो। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पद संभालने के कुछ ही समय बाद हिमालयी राज्यों के लिए विशेष विकास नीति पर जोर दिया था। अब समय है कि “इंस्पिरेशनल हिमालय” के साथ “एस्पिरेशनल हिमालय” की भी बात की जाए। उन्होंने हिमाचल और अन्य हिमालयी राज्यों से अपील की कि वे इस महायज्ञ का हिस्सा बनें और आने वाले भारत निर्माण में अपनी बड़ी भूमिका निभाएं।





