प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कांगड़ा के गगल हवाई अड्डे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं को साथ बैठाकर आपदा पीड़ितों के आंसू पोंछने की कोशिश की। उन्होंने हवाई सर्वेक्षण कर बरसात और भूस्खलन से हिमाचल में हुए भारी नुकसान का प्रत्यक्ष जायजा लिया और इसे बेहद गंभीर स्थिति करार दिया। मौके पर ही उन्होंने कई राहत घोषणाएं कीं, जिनमें हिमाचल को तत्काल 1500 करोड़ रुपये की मदद, केंद्रीय टीम की रिपोर्ट के आधार पर आगे और सहायता देने पर विचार, एसडीआरएफ से मदद, किसान सम्मान निधि की अग्रिम किस्त, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ, मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा शामिल है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे से आपदा प्रभावित राज्य को राहत और उम्मीद दोनों मिली हैं। करीब 50 स्थानों पर बादल फटने से प्रदेश में भारी तबाही मची है, जिससे पूरी तरह उबरने में लंबा समय लग सकता है। इस दौरे के साथ ही भाजपा को राजनीतिक तौर पर भी सहारा मिला है। कांग्रेस लंबे समय से आपदा में केंद्र की अनदेखी का मुद्दा उठाती रही थी, लेकिन मोदी के दौरे ने इस बहस को कमजोर किया। विपक्ष अब कह रहा है कि प्रधानमंत्री के आने से उनका पलड़ा भारी हुआ है, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए यह राहत का संकेत है कि केंद्र मदद देने के लिए गंभीर है।
पीएम मोदी का हिमाचल दौरा
हिमाचल और मोदी का रिश्ता पुराना है। मोदी नब्बे के दशक में हिमाचल भाजपा के प्रभारी रहे और प्रदेश कोने-कोने से परिचित हैं। वह हमेशा हिमाचल को अपना दूसरा घर बताते आए हैं। यहां लोकसभा की चार और राज्यसभा की तीन सीटों पर भाजपा के सांसद हैं। आपदा के समय केंद्र से पर्याप्त मदद न ला पाने के मुद्दे पर कांग्रेस अक्सर भाजपा को घेरती रही है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी बिलासपुर से आते हैं, ऐसे में प्रधानमंत्री का आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा और विपक्ष के साथ बैठक करना यह संदेश देता है कि हिमाचल उनके लिए राजनीति से ऊपर है।
प्रधानमंत्री का यह दौरा न केवल आपदा पीड़ितों के लिए बल्कि भाजपा की सियासत के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है। बैठक में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल की समस्याएं खुलकर प्रधानमंत्री के सामने रखीं। उन्होंने विशेष आपदा राहत पैकेज के रूप में 1500 करोड़ रुपये की मांग की और कहा कि यह सामान्य सहायता से अलग होना चाहिए। इसके अलावा उजड़े हुए परिवारों को बसाने के लिए वन भूमि का आवंटन, अतिरिक्त दो प्रतिशत उधार की सुविधा और अन्य मुद्दे भी उन्होंने प्रमुखता से उठाए।
विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी का यह दौरा हिमाचल को न केवल वित्तीय सहयोग बल्कि राजनीतिक संतुलन भी देगा। केंद्र और राज्य मिलकर राहत और पुनर्वास कार्यों को गति देंगे तो प्रभावित परिवारों के लिए नई उम्मीदें जगेंगी। साथ ही यह संदेश भी गया है कि प्रधानमंत्री हिमाचल को आपदा की घड़ी में अकेला नहीं छोड़ना चाहते।





