हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के आदेशों की बार-बार अवहेलना करने पर कड़ा रुख अपनाया है। रामपुर के नायब तहसीलदार सुरेश कुमार नेगी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अदालत ने उनकी स्कॉर्पियो गाड़ी को चाबियों सहित जब्त कर रजिस्टार जनरल के समक्ष जमा करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि यह गाड़ी अब आपदा राहत कार्यों के लिए इस्तेमाल होगी और इसे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मंडी के सचिव को सौंपा जाएगा। खंडपीठ ने साफ किया कि जब तक आदेशों का पालन नहीं होता, गाड़ी जब्त ही रहेगी। यह आदेश पुष्पानंद बनाम हिमाचल प्रदेश मामले की सुनवाई के दौरान दिए गए।
अदालत को बताया गया कि नायब तहसीलदार को यह गाड़ी आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत सौंपी गई थी। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि अदालत के आदेशों की अनदेखी किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन को राहत और आपदा कार्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए, लेकिन न्यायालय के आदेशों की अवमानना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
हिमाचल हाईकोर्ट सख्त
सुनवाई के दौरान नायब तहसीलदार सुरेश कुमार नेगी व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित हुए। खंडपीठ ने पाया कि 8 अप्रैल 2025 से अधिकारियों को अतिक्रमण हटाने के आदेशों के अनुपालन का समय दिया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जबकि अदालत ने पहले ही 1 सितंबर को स्पष्ट कर दिया था कि आदेशों की अनदेखी करने पर अधिकारियों को दंडित किया जाएगा। बावजूद इसके प्रशासन ने 14 अगस्त को बेदखली वारंट जारी कर दिया और अनुपालन की अंतिम तिथि 30 नवंबर तय कर दी, जिसे अदालत ने आदेशों की गंभीर अवहेलना माना।
गौरतलब है कि यह मामला वर्ष 2019 से लंबित है और एनएच-5 से याचिकाकर्ता के घर तक एंबुलेंस रोड निर्माण से संबंधित है। अदालत का मानना है कि इस तरह की देरी से न केवल आदेशों की अवमानना होती है, बल्कि प्रभावित पक्ष को भी गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अदालत ने चेतावनी दी है कि यदि समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो संबंधित अधिकारियों पर और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।





