हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 6 सितंबर 2025 को उच्चतम वेतनमान को लेकर जारी अधिसूचना अब अदालत की चौखट पर पहुंच गई है। इस अधिसूचना में 3 जनवरी 2022 को लागू किए गए उच्चतम पे-स्केल को वापस लेने की बात कही गई थी। हालांकि बाद में सरकार ने इसे स्थगित करने का ऐलान किया, लेकिन कर्मचारियों ने आशंका जताते हुए अलग-अलग याचिकाएं दायर कर दीं। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किए हैं और चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अब मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत में कहा गया कि 6 सितंबर की अधिसूचना केवल स्थगित की गई है, वापस नहीं ली गई। ऐसे में किसी भी समय इसे लागू किया जा सकता है, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। अधिवक्ताओं ने अदालत से इस अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगाने का आग्रह किया ताकि कर्मचारियों को राहत मिल सके।
उच्चतम वेतनमान अधिसूचना पर हाईकोर्ट सख्त
वहीं, प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि फिलहाल अधिसूचना स्थगित है और सरकार ने इसे लागू करने का कोई कदम नहीं उठाया है। इसलिए इस स्तर पर अदालत के किसी भी अंतरिम आदेश की आवश्यकता नहीं है। सरकार का तर्क था कि याचिकाकर्ताओं की आशंका केवल अनुमान पर आधारित है।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने इस समय कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। अदालत ने साफ किया कि सरकार को चार हफ्तों में अपना जवाब दाखिल करना होगा और उसके बाद अगली सुनवाई में मामले पर विस्तृत विचार किया जाएगा। अब नजरें 13 नवंबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जब यह तय होगा कि कर्मचारियों को राहत मिलेगी या नहीं।





