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Wed, Dec 17, 2025

हाईकोर्ट ने निलंबित एएसआई पंकज शर्मा पर लगे प्रतिबंध हटाने के दिए निर्देश, जानें क्या कहा?

Written by:Neha Sharma
Published:
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने निलंबित एएसआई पंकज शर्मा को पुलिस गेस्ट हाउस में 24 घंटे निगरानी में रखने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। ]
हाईकोर्ट ने निलंबित एएसआई पंकज शर्मा पर लगे प्रतिबंध हटाने के दिए निर्देश, जानें क्या कहा?

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने निलंबित एएसआई पंकज शर्मा को पुलिस गेस्ट हाउस में 24 घंटे निगरानी में रखने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि सुरक्षा के नाम पर किसी भी पुलिस कर्मी की स्वतंत्रता पर इस तरह के प्रतिबंध नहीं लगाए जा सकते। न्यायालय ने आदेश दिया कि पंकज शर्मा की सुरक्षा यदि आवश्यक है तो उसे सुनिश्चित किया जाए, लेकिन इसमें उसके मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। गौरतलब है कि पंकज शर्मा पर चीफ इंजीनियर विमल नेगी के शव के पास से बरामद पेन ड्राइव गायब करने का आरोप है।

पंकज शर्मा पर लगे प्रतिबंध हटाने के निर्देश

न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की बेंच ने राज्य सरकार को तत्काल कार्रवाई करने और याचिकाकर्ता को अपने परिवार से मिलने की अनुमति देने के आदेश दिए। अदालत ने यह भी कहा कि भविष्य में उनकी सुरक्षा से जुड़ा कोई भी निर्णय उनकी सहमति और विश्वास में लेकर ही किया जाए। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता अनूप रतन ने बताया कि खतरे की आशंका को देखते हुए यह सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। हालांकि उन्होंने माना कि अब जबकि मामले की जांच सीबीआई के पास है, राज्य सरकार सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए तैयार है।

सीबीआई की ओर से अदालत को अवगत कराया गया कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है और याचिकाकर्ता को सीबीआई के कहने पर हिरासत में नहीं रखा गया। याचिका में कहा गया कि पंकज शर्मा केवल निलंबित हैं और किसी भी निवारक हिरासत में नहीं, इसके बावजूद उन्हें जबरन पुलिस गेस्ट हाउस में रखा गया है। यहां तक कि उनके कमरे में सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है और 24 घंटे पुलिस गार्ड तैनात रहते हैं, जिससे उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी जाती है।

याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की थी कि उन्हें उनके सरकारी आवास भराड़ी में अपने परिवार के साथ रहने दिया जाए। उन्होंने दलील दी कि यह पूरा कदम बिना किसी कानूनी आधार और न्यायिक अनुमति के उठाया गया है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सरकार को निर्देश जारी किए और याचिका का निपटारा कर दिया।