हिमाचल प्रदेश के 19.20 लाख जन धन खातों की दोबारा केवाईसी (KYC) प्रक्रिया 30 सितंबर तक पूरी करनी होगी। प्रधानमंत्री जन धन योजना के 11 साल पूरे होने पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने यह समय सीमा तय की है। केवाईसी न करवाने वाले खाताधारकों को अक्तूबर से नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू होगी। तीन नोटिस के बाद भी आवश्यक औपचारिकता पूरी न करने वालों के खाते अस्थायी रूप से बंद कर दिए जाएंगे। इस कदम का उद्देश्य बैंकिंग सुरक्षा मजबूत करना, खातों की सक्रियता सुनिश्चित करना और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों पर रोक लगाना है।
जन धन खातों की दोबारा केवाईसी
प्रधानमंत्री जन धन योजना 28 अगस्त 2014 को शुरू हुई थी, जिसका लक्ष्य हर नागरिक को बैंकिंग सुविधा से जोड़ना था। इसके तहत शून्य बैलेंस पर खाता खोलने, एटीएम कार्ड, बीमा और ओवरड्राफ्ट की सुविधा मिलती है। हिमाचल में 2014 से अब तक खोले गए 19.20 लाख खातों में करीब 25 फीसदी निष्क्रिय हैं। इनमें 11 साल से कोई लेन-देन नहीं हुआ। 4.54 लाख खाताधारकों के रुपे कार्ड अभी तक सक्रिय नहीं हुए, जिससे वे दो लाख रुपये के दुर्घटना बीमा लाभ से वंचित रह गए हैं।
राज्य में सहकारी बैंकों में जीरो बैलेंस खाते 13 फीसदी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 10.18 फीसदी और स्मॉल फाइनेंस बैंकों में सबसे ज्यादा 53.38 फीसदी हैं। अब केवाईसी प्रक्रिया के बाद वास्तविक सक्रिय खातों की स्थिति स्पष्ट होगी। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के अध्यक्ष विवेक कुमार मिश्रा ने बताया कि दूरदराज के क्षेत्रों के ग्राहकों को सुविधा देने के लिए विशेष शिविर लगाए जाएंगे, ताकि समय रहते केवाईसी पूरी हो सके।
केवाईसी के लिए खाताधारकों को अपने बैंक में जाकर आधार कार्ड, वोटर आईडी या पैन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र और पासपोर्ट साइज फोटो जमा करवाना होगा। साथ ही अब सभी प्रकार के बैंक खातों में एक से अधिक नॉमिनेशन (नामांकन) की सुविधा भी मिलेगी। खाताधारक यह तय कर सकेंगे कि उनके निधन के बाद खाते की राशि किसे और कितने हिस्सों में मिलेगी। इससे भविष्य में उत्तराधिकार विवादों से बचाव होगा।





