हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की ओर से कर्मचारियों को बकाया एरियर का भुगतान न करने पर कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने वित्तीय बाधाओं का हवाला देने वाले निगम के तर्क को खारिज कर दिया और निगम की गाड़ी (एचपी-07-बी-0222, इटियोस) को तुरंत जब्त करने का आदेश दिया। न्यायाधीश सत्येन वैद्य की अदालत ने स्पष्ट किया कि अगला आदेश आने तक इस गाड़ी का उपयोग नहीं होगा।
इसके साथ ही अदालत ने एचआरटीसी को तीन सप्ताह के भीतर कर्मचारियों का एरियर चुकाने का निर्देश दिया और चेतावनी दी कि आदेश का पालन न होने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक डॉ. निपुण जिंदल, वित्तीय सलाहकार मनीत वर्मा और उप मंडल प्रबंधक (कानूनी) मदन लाल शर्मा अदालत में मौजूद रहे।
बकाया एरियर पर हाईकोर्ट सख्त
दरअसल, निगम ने अदालत में यह दलील दी थी कि वित्तीय संसाधनों की कमी के चलते वह कर्मचारियों को बकाया एरियर का भुगतान नहीं कर पा रहा है। निगम की ओर से बताया गया कि एरियर भुगतान के लिए 50 करोड़ रुपये की मांग की गई है। हालांकि अदालत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि वित्तीय बाधाओं के आधार पर न्यायालय के आदेश को अनिश्चितकाल तक टाला नहीं जा सकता। अदालत ने याद दिलाया कि पहले ही आठ महीने का पर्याप्त समय निगम को दिया जा चुका है और अब और देरी करना कर्मचारियों के साथ अन्याय होगा।
बता दें कि हाईकोर्ट ने पहले ही एचआरटीसी को आदेश दिया था कि 28 फरवरी तक कर्मचारियों का बकाया एरियर और परिणामी लाभ का भुगतान किया जाए। लेकिन आदेश का पालन न होने पर कर्मचारियों ने फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी। अदालत ने निगम से साफ किया कि आदेश की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
गौरतलब है कि एचआरटीसी कर्मचारियों से संबंधित ऐसे करीब 300 मामले अदालत में लंबित हैं। इनमें कर्मचारियों ने निगम की संपत्ति जब्त कर बकाया चुकाने की गुहार लगाई है। इनमें से 12 मामलों पर 12 सितंबर को सुनवाई होगी। लगातार आदेशों के बावजूद निगम की ओर से बकाया भुगतान न होने से कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ी हुई है और अब अदालत भी इस मुद्दे पर बेहद सख्त रुख अपनाए हुए है।





