हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सोमवार को नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार पर आपदा प्रबंधन को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सरकार सच बोलने के लिए तैयार ही नहीं है और ऐसे में उस पर भरोसा करना मुश्किल हो गया है। ठाकुर ने दावा किया कि सरकार श्रद्धालुओं की सुरक्षा और राहत कार्यों के बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन हकीकत यह है कि लोग 40-40 किलोमीटर पैदल चलकर आपदा प्रभावित क्षेत्रों से बाहर निकलने को मजबूर हुए। श्रद्धालु खुद मीडिया के सामने सरकार की तैयारियों की पोल खोल रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि प्रशासन ने उनकी कोई मदद नहीं की।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का आरोप
जयराम ठाकुर ने कहा कि मणिमहेश यात्रा से जुड़े श्रद्धालुओं की संख्या को लेकर भी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने अलग-अलग आंकड़े पेश किए। 28 अगस्त को विपक्ष ने सदन में बताया था कि 10 हजार से अधिक लोग फंसे हैं, लेकिन उपमुख्यमंत्री ने इसे झूठ करार दिया। अब मुख्यमंत्री खुद विधानसभा में कह रहे हैं कि 10 हजार लोगों को निकाल लिया गया है और 5 हजार अभी भी फंसे हुए हैं। इसका मतलब है कि 28 अगस्त को वास्तव में 15 हजार श्रद्धालु प्रभावित क्षेत्रों में थे। ठाकुर ने आरोप लगाया कि सरकार ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और जनता को गुमराह किया।
उन्होंने कहा कि आपदा की घड़ी में श्रद्धालुओं को सरकार से कोई सुविधा नहीं मिली। आम लोगों और सामाजिक संगठनों के लगाए गए लंगर ही श्रद्धालुओं का सहारा बने, जबकि सरकार ने ग्रीन सैस के नाम पर उनसे हजारों रुपये वसूले थे। ठाकुर ने सवाल उठाया कि जब प्रदेश आपदा से जूझ रहा था और मणिमहेश में लोग फंसे थे, उस समय मुख्यमंत्री राज्य में मौजूद ही नहीं थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने वायुसेना से हेलीकॉप्टर की मांग तक नहीं की, जबकि वहां काम कर रहे निजी हेलीकॉप्टर श्रद्धालुओं से मनमाना किराया वसूल रहे थे।
नेता प्रतिपक्ष ने परिवहन निगम पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री दावा कर रहे हैं कि श्रद्धालुओं को निगम की बसों से मुफ्त निकाला गया, लेकिन हकीकत यह है कि यात्रियों से सामान्य से ज्यादा किराया लिया गया। एक श्रद्धालु ने तो यहां तक आरोप लगाया कि हेलीकॉप्टर में चार लोगों की सवारी के लिए उन्हें 75 हजार रुपये चुकाने पड़े। ठाकुर ने कहा कि आपदा के कारण कई इलाके अब भी कटे हुए हैं और इस स्थिति को देखते हुए सरकार को परीक्षाओं समेत महत्वपूर्ण तिथियों को आगे बढ़ाना चाहिए।





