हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा हवाई अड्डे पर यात्रियों को अब राहत मिलने की उम्मीद है। यहां उड़ानों के बार-बार रद्द होने की समस्या को दूर करने के लिए दृश्यता सीमा (विजिबिलिटी लिमिट) को पांच किलोमीटर से घटाकर लगभग तीन किलोमीटर करने की योजना पर काम चल रहा है। हवाई अड्डे के निदेशक धीरेंद्र सिंह ने बताया कि बारिश और मौसम की खराबी के कारण पिछले दो महीनों में यहां 30 से 40 फीसदी उड़ानें प्रभावित हुई हैं। अभी तक यहां विमानों के उतरने के लिए पांच किलोमीटर की दृश्यता जरूरी थी, लेकिन इसे कम करने के प्रयासों से उड़ानों का रद्द होना काफी हद तक कम हो जाएगा।
उड़ानों के रद्द होने की समस्या से मिलेगी राहत
धीरेंद्र सिंह ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य दृश्यता सीमा को घटाकर तीन किलोमीटर करना है, ताकि खराब मौसम में भी विमान सुरक्षित रूप से उतर सकें। उन्होंने बताया कि इस दिशा में हवाई अड्डा प्राधिकरण ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यात्रियों की सुविधा और लगातार बाधित हो रही हवाई सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए यह कदम अहम माना जा रहा है।
अब तक इस प्रयास में सबसे बड़ी बाधा यह थी कि कांगड़ा हवाई अड्डे का हवाई क्षेत्र भारतीय वायु सेना के नियंत्रण में है। इस वजह से यहां हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी) की प्रक्रिया बनाना संभव नहीं हो पा रहा था। लेकिन भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण ने मामले को गंभीरता से लिया और कई दौर की बैठकों के बाद यह निर्णय हुआ कि वायु सेना अब हवाई अड्डे को 12 नॉटिकल मील का क्षेत्र सौंप देगी। इस फैसले के बाद यहां नई एटीसी प्रक्रियाएं तैयार की जा रही हैं।
हवाई अड्डा प्राधिकरण, डीजीसीए और एयरलाइंस मिलकर इस पर काम कर रहे हैं। एयरलाइंस को भी इन प्रक्रियाओं में शामिल किया गया है ताकि तकनीकी मानकों का पालन सुनिश्चित हो सके। अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही दृश्यता सीमा कम की जाएगी, उड़ानों के रद्द होने की संभावना घट जाएगी और यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलेगी। यह कदम न केवल कांगड़ा हवाई अड्डे की संचालन क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि पूरे क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार भी करेगा।





