हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में इन दिनों सेब का सीजन चरम पर है, लेकिन लगातार भूस्खलन ने किसानों और व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। कुल्लू से मंडी जाने वाला मुख्य सड़क मार्ग बार-बार मलबे की चपेट में आ रहा है। यही नहीं, वाया कटोला होते हुए मंडी जाने वाली सड़क भी पिछले दो महीनों से बार-बार बंद हो रही है। इस वजह से सेब और अनार का कारोबार प्रभावित हो रहा है। आढ़तियों का कहना है कि सरकार बड़े ट्रकों के बजाय छोटे वाहनों से सेब भेजने की सलाह दे रही है, लेकिन इससे खर्चा कई गुना बढ़ रहा है। खराब मौसम के चलते पहले ही सेब के दाम गिरे हुए हैं और अब परिवहन खर्च बढ़ने से किसानों की आय और भी घट गई है।
भूस्खलन से ठप हुआ सेब का कारोबार
कुल्लू की सबसे बड़ी भुंतर सब्जी मंडी इन हालातों की वजह से सूनी पड़ी हुई है। ग्रामीण इलाकों की सड़कें बंद होने से करोड़ों रुपए का सेब और अनार बगीचों में ही खराब हो रहा है। जो किसान किसी तरह मंडी तक पहुंच भी रहे हैं, उन्हें व्यापारी बहुत कम दाम दे रहे हैं। कई ट्रक तो चार-चार दिनों से सड़कों पर फंसे हुए हैं, जिससे उनका माल खराब हो गया। कुछ व्यापारियों को मजबूरी में माल को दोबारा उतारकर रिपैक करना पड़ा ताकि जो थोड़ी-बहुत बची फसल है, उसे बाजार में बेचा जा सके।
भुंतर मंडी के आढ़ती वीरेंद्र कुमार का कहना है कि भारी बारिश और बंद सड़कों के कारण कारोबार बुरी तरह प्रभावित है। किसान खेतों से मंडी नहीं पहुंच पा रहे और व्यापारी भी माल खरीदने से पीछे हट रहे हैं। किसान बरचंद ने बताया कि पहले सेब के ट्रक दिल्ली तक 90 हजार रुपये में पहुंच जाते थे, लेकिन अब सरकार जीप में माल भेजने की सलाह दे रही है। जीप का किराया 30 से 40 हजार रुपये है, जबकि उसमें ट्रक से कई गुना कम माल जाता है। इस हिसाब से किसान खर्च भी नहीं निकाल पा रहे।
आढ़ती घनश्याम और एसोसिएशन के सचिव सोहन लाल का कहना है कि बगीचों में करोड़ों का सेब खराब हो रहा है और सरकार सड़कों की मरम्मत पर ध्यान नहीं दे रही। सोहन लाल ने बताया कि वाया कटोला सड़क पर सिर्फ 50 मीटर का हिस्सा खराब है, जिसे अगर समय रहते ठीक कर दिया जाता तो ट्रक आराम से बाहरी राज्यों की मंडियों तक जा सकते थे। लेकिन सरकार और प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा बागवानों, व्यापारियों, मजदूरों और ट्रांसपोर्टरों सभी को भुगतना पड़ रहा है।





