हिमाचल प्रदेश के गगरेट क्षेत्र के हरवाल गांव में आयोजित विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर लोकसभा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि 1947 का विभाजन एक ऐसी त्रासदी थी, जिसने भारत माता की आत्मा को छलनी कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासन में विभाजन की दर्दनाक कहानियों को न तो लिखा गया और न ही सरकारी स्मृतियों में शामिल किया गया। ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने 2021 में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की, ताकि उन पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी जा सके जिन्हें दशकों तक भुला दिया गया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि विभाजन को याद रखना सांप्रदायिक नहीं, बल्कि इसे इतिहास से मिटाना सांप्रदायिकता है।
अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस पर धार्मिक कट्टरता और तुष्टिकरण की नीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया, जिसे उन्होंने विभाजन का प्रमुख कारण बताया। उन्होंने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना से लेकर आज के इस्लामिक संगठनों तक धार्मिक अलगाववाद की राजनीति जारी है। ठाकुर ने हिमाचल, उत्तराखंड, मुंबई और केरल में बढ़ते लव जिहाद के मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अल्पसंख्यक हिंदू-सिख समुदायों को शरण और नागरिकता देकर न्याय सुनिश्चित किया। उन्होंने कांग्रेस पर दंगाइयों को बचाने, सेना पर सवाल उठाने और सीएए का विरोध करने का आरोप लगाया, जबकि मोदी सरकार ने धारा 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर को विकास और नई पहचान दी।
केंद्र से मिलने वाली मदद पर ठाकुर उठायें सवाल
हिमाचल को केंद्र से मिलने वाली मदद के सवाल पर ठाकुर ने कहा कि यूपीए सरकार के 10 वर्षों (2004-2014) की तुलना में मोदी सरकार ने हिमाचल को एसडीआरएफ में तीन गुना और एनडीआरएफ में पांच गुना अधिक धनराशि दी है। उन्होंने सुक्खू सरकार पर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में काम न करने और धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। भद्रकाली गांव में एक प्रोजेक्ट से संबंधित शिकायत पर उन्होंने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। साथ ही, केंद्रीय विद्यालय के लिए केंद्र द्वारा बजट स्वीकृत होने की बात कहते हुए उन्होंने अस्थायी भवन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकार को सौंपी।
आयोजन विभाजन के दर्द बन गया
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के आयोजन ने न केवल ऐतिहासिक त्रासदी को याद करने का अवसर प्रदान किया, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर भी चर्चा को प्रेरित किया। अनुराग ठाकुर ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए हिमाचल में विकास और आपदा प्रबंधन में राज्य सरकार की कमियों को उजागर किया। यह आयोजन विभाजन के दर्द को याद करने और भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने की सीख लेने का एक मंच बन गया।





