हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) में रविवार को ‘स्क्रब टाइफस’ बीमारी से एक और व्यक्ति की मौत हो गई। इस तरह प्रदेश में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या अब तीन हो गई है। आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक के अनुसार, मृतक 34 वर्षीय महिला सरोज को गंभीर सेप्सिस और सेप्टिक शॉक के चलते सिविल अस्पताल रोहड़ू से रेफर किया गया था। आठ अगस्त को आईजीएमसी में भर्ती किए जाने के बाद, नौ अगस्त को उसकी रिपोर्ट में ‘स्क्रब टाइफस’ संक्रमण की पुष्टि हुई। मेडिकल इंटेंसिव केयर यूनिट (MICU) में गहन उपचार के बावजूद 10 अगस्त दोपहर करीब तीन बजे उसकी मौत हो गई।
‘स्क्रब टाइफस’ से एक और मौत
आईजीएमसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राहुल राव ने बताया कि मरीज की मृत्यु का मुख्य कारण ‘स्क्रब टाइफस’ से उत्पन्न सेप्टिक शॉक और सेप्सिस रहा। उन्होंने कहा कि यह बीमारी इस समय प्रदेश में गंभीर स्वास्थ्य चिंता का कारण बन चुकी है। इससे पहले 6 अगस्त को आईजीएमसी ने 29 नमूनों की जांच में छह पॉजिटिव केस मिलने की जानकारी दी थी। स्वास्थ्य विभाग ने खासकर ग्रामीण और जंगली इलाकों के लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है, जहां ‘चिगर्स’ (माइट लार्वा) के संपर्क में आने का खतरा अधिक होता है।
डॉ. राव ने बताया कि ‘स्क्रब टाइफस’ से बचाव के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता का पालन करना जरूरी है। घर और आसपास की जगह को साफ रखें, घास और खरपतवार न उगने दें। अगर तेज बुखार, बदन दर्द या त्वचा पर दाने जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराएं। उन्होंने कहा कि समय रहते पहचान और इलाज से इस बीमारी से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।
लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए IGMC सहित राज्य के अन्य अस्पतालों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ‘स्क्रब टाइफस’ एक मौसमी संक्रमण है, लेकिन अगर समय पर निदान न हो तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए लक्षण दिखते ही इलाज शुरू करना बेहद जरूरी है।





