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Fri, Dec 19, 2025

यमन ही नहीं, कई मुस्लिम देशों में हत्या की सजा मौत से भी ज्यादा खौफनाक

Written by:Vijay Choudhary
Published:
यमन में हत्या के दोषियों को आमतौर पर फायरिंग स्क्वॉड के ज़रिए सजा दी जाती है। गुनहगार को पेट के बल ज़मीन पर लिटा दिया जाता है और पीठ के पीछे से सीधा दिल पर गोली मारी जाती है।
यमन ही नहीं, कई मुस्लिम देशों में हत्या की सजा मौत से भी ज्यादा खौफनाक

मुस्लिम देशों में सख्त सजा

भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में सुनाई गई फांसी की सजा ने एक बार फिर दुनियाभर में मुस्लिम देशों में दी जाने वाली मृत्युदंड की खौफनाक प्रकृति को उजागर कर दिया है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो गया है कि यमन सहित किन मुस्लिम बहुल देशों में हत्या जैसे अपराधों पर दी जाने वाली सजा न सिर्फ जानलेवा होती है, बल्कि उसे दिए जाने का तरीका भी रूह कंपा देने वाला होता है।

गोली से दिल को निशाना बनाकर दी जाती है मौत

यमन में हत्या के दोषियों को आमतौर पर फायरिंग स्क्वॉड के ज़रिए सजा दी जाती है। गुनहगार को पेट के बल ज़मीन पर लिटा दिया जाता है और पीठ के पीछे से सीधा दिल पर गोली मारी जाती है। यह सजा सार्वजनिक रूप से भी दी जाती है जिससे उसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी ज्यादा होता है।

सऊदी अरब तलवार से सिर कलम करना आम

सऊदी अरब में मौत की सजा देने का तरीका और भी ज्यादा भयावह है। यहां दोषियों का सार्वजनिक तौर पर तलवार से सिर कलम कर दिया जाता है। कई मामलों में फायरिंग स्क्वॉड से भी सजा दी जाती है। 2024 में अब तक 345 लोगों को मौत की सजा दी गई, जिनमें से अधिकांश ड्रग तस्करी और हत्या के आरोपी थे। इनमें करीब 31% विदेशी नागरिक थे, जिनके मामलों में पारदर्शिता की गंभीर कमी देखी गई।

कई मुस्लिम देशों में सख्त कानून

ईरान, कुवैत, मिस्र और बांग्लादेश में फांसी या फायरिंग से सजा दी जाती है। इन देशों में भी हत्या के मामलों में मौत की सजा आम है। ईरान में सबसे ज्यादा फांसी दी जाती है। 2023 में यहां 251 से ज्यादा लोगों को फांसी पर लटकाया गया। कुवैत, मिस्र, और बांग्लादेश में फांसी के साथ-साथ कुछ मामलों में पीछे से गोली मारने की सजा भी दी जाती है। बहरीन ने 2017 तक मौत की सजा पर रोक लगा दी थी, लेकिन बाद में इसे फिर से लागू कर दिया गया। यहां भी मुख्य तौर पर फायरिंग स्क्वॉड द्वारा ही मौत दी जाती है। मलेशिया, जहां मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है, ने 2023 में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अनिवार्य मृत्युदंड को खत्म कर दिया। अब वहां अदालतें आजन्म कारावास या कोड़े मारने की सजा सुना सकती हैं। 900 से अधिक कैदियों की सजा को पुनर्विचार के बाद जेल में बदला गया।

मौत पर मानवाधिकार के सवाल

Human Rights Watch और Amnesty International जैसे संगठनों ने ऐसे मामलों में न्यायिक पारदर्शिता और मानवीय व्यवहार की लगातार मांग की है। खासकर जब आरोपी विदेशी हो और स्थानीय भाषा या कानून की समझ न रखता हो। यमन और सऊदी अरब जैसे देशों में हत्या की सजा केवल एक दंड नहीं, बल्कि खौफ और नियंत्रण का प्रतीक बन चुकी है। जबकि मलेशिया जैसे देश सुधार की राह पर हैं।