नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। एक लम्बी लड़ाई के बाद आखिरकार रविवार को अफगानिस्तान (Afganistan) सरकार गिर गई। दरअसल तालिबान (taliban) ने काबुल (kabul) में प्रवेश किया और अफगान राजधानी पर नियंत्रण कर लिया और साथ ही राष्ट्रपति भवन पर भी कब्जा कर लिया। अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी (asraf gani) ने देश छोड़ दिया और अब तालिबान जल्द ही अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की पुन: स्थापना करेगा। कई देश अफगानिस्तान से राजनयिक और अन्य कर्मियों को निकालने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं, यहां तक कि सैकड़ों लोग काबुल हवाई अड्डे (kabul airport) पर Taliban द्वारा अफगान राजधानी पर नियंत्रण का दावा करने के बाद देश छोड़ने के प्रयास में हैं।
इसी बीच अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान (taliban) के कब्जे के बाद दुनिया भर में एक सवाल, जो बेहद आम है। वह यह कि अब आखिर अफगान पर कब्जे के बाद तालिबान अपनी राजधानी क्या रखेगा? हालांकि जिस तरह से तालिबानी काबुल से अपने सारे ऑपरेशन को संचालित कर रहे। माना जा रहा है कि तालिबानी भी अपनी राजधानी काबुल ही रखेंगे लेकिन इस चर्चा में जो बेहद आम है वह कि तालिबान के पिछले शासनकाल के दौरान अफगानिस्तान की राजधानी कंधार थी।
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वहीं अफगानिस्तान में कंधार अपने आर्थिक महत्व के साथ सामरिक दृष्टिकोण के लिए भी जाना जाता है। कंधार के बारे में एक चर्चा यह भी बेहद आम है कि कंधार पर कब्जा करने के बाद, पूरा अफगानिस्तान उस इंसान के नियंत्रण में रहता है। इसके अलावा कंधार अपने इतिहास को लेकर भी प्रसिद्ध है। ज्ञात हो कि पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व कंधार फारस के साम्राज्य का भाग था। वही अशोक के साम्राज्य में अशोक ने कंधार को भी जीता था जबकि सिकंदर ने भारत पर आक्रमण से पहले कंधार में अपने साम्राज्य की स्थापना की थी।
इसके अलावा अगर तालिबानी दृष्टिकोण से देखें तब भी कंधार का महत्व बेहद अधिक है। दरअसल कंधार को तालिबान के जन्म स्थान माना जाता है माना जाता है कि तालिबान की उत्पत्ति कंधार से ही हुई है। इस शहर में तालिबान के संस्थापक मौलाना मुल्ला उमर का जन्म स्थल है। इसके अलावा तालिबानी को कंधार से बाहर खदेड़ने के बाद तालिबान संगठन की स्थापना की गई थी।