अजब-गजब : पान की गुमटी का किराया इतना, जितने में आ जाएगी एक कार, अब लगाइए कमाई का अंदाज

Atul Saxena
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Monthly rent of Paan Gumti Rs 3 lakh 25 thousand : अक्सर आपने नीलामी के किस्से कहानी सुने होंगे जिसमें उस बेशकीमती चीज को खरीदने वाला बोली लगाने वाले से अलग अपनी मनमानी कीमत लगाता है। ये लाखों में या इससे भी अधिक हो सकती है, आम तौर पर इसमें एंटिक चीजें या बेशकीमती, बहुमूल्य चीजें शामिल होती हैं जैसे पुराने नोट, पुराने सिक्के, घड़ियाँ, पेंटिंग आदि, लेकिन नोएडा में एक ऐसी चीज के लिए तगड़ी बोली लगी है जो चर्चा का विषय बनी हुई है। आइये आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं ।

एक गुमटी का किराया  सवा तीन लाख रुपये महीना 

क्या आप मान सकते हैं कि फुटपाथ पर मौजूद किसी गुमटी का किराया लाखों में हो सकता है? नहीं ना … लेकिन ये सच है और हम आपको इसी गुमटी के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल नोएडा में एक व्यक्ति ने पान सिगरेट की एक गुमटी जिसे पान का खोखा, पान की टपरी, पान की दुकान इन सब नामों से जानते है उसे सवा तीन लाख रुपये महीने में किराये में बोली लगाकर लिया है।

गुमटी के मासिक किराये में आ जाएगी कार

एक पान सिगरेट की गुमटी को मासिक सवा तीन लाख रुपये में लेने वाले शख्स की चर्चा इन दिनों हो रही है, लोग कह रहे हैं कि जो व्यक्ति सवा तीन लाख रुपये किराया देगा उसकी कमाई कितनी होगी?  जितना किराया ये महीने में खर्च करेगा उतने में तो कार आ जाएगी ।

नोएडा के अट्टा मार्केट में है पान की गुमटी 

नोएडा का अट्टा मार्केट बहुत प्रसिद्द मार्केट है, यहाँ हजारों की संख्या में लोग रोज पहुँचते हैं, इस शख्स ने इसी मार्केट में पान सिगरेट की गुमटी बोली में ली है, यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि अट्टा मार्केट के पास मेट्रो स्टेशन सेक्टर 181 है, जब आप इस मेट्रो स्टेशन से बाहर आएंगे तो यहाँ बहुत से खोखे यानि गुमटी दिखाई देंगे। इसमें K सीरीज की गुमटी है इन्हीं में से K 31 नंबर की पान सिगरेट की गुमटी इस व्यक्ति ने बोली में ली है।

पिता 25 साल से चला रहे चाय की टपरी     

जिस व्यक्ति ने सवा तीन लाख रुपये में पान सिगरेट की गुमटी बोली में खरीदी है, उसका नाम है सोनू झा। उसके पिता दिगंबर झा पिछले 25 साल से अट्टा मार्केट में चाय की टापरी चलाते हैं, उनकी चाय मार्केट में फेमस है लोग दूर दूर से चाय पीने आते हैं। दिगंबर 25 साल पहले बिहार से काम की तलाश में नोएडा आये थे और जब काम नहीं मिला तो चाय की टपरी शुरू कर दी। उन्हें उम्मीद है कि उनका बेटा अपनी नई दुकान को संभाल लेगा।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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