भूतिया कहलाता है राजस्थान का कुलधरा गांव, रातोंरात गायब हो गए थे सारे ग्रामीण, सालों से है वीरान

राजस्थान भारत का एक ऐसा राज्य है जो अपने अंदर इतिहास को समेटे हुए हैं। यहां का एक गांव भूतिया गांव के नाम से पहचाना जाता है।

Kuldhara village

Kuldhara Village: राजस्थान भारत का बहुत ही खूबसूरत राज्य है। इस भूमि को अपने राजा महाराजा वाले वर्चस्व के लिए पहचाना जाता है। घूमने फिरने के लिए भी यहां पर एक से बढ़कर एक स्थान मौजूद है जहां पर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है।

राजस्थान के दूर-दूर तक फैले रेगिस्तान और भव्य महलों को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक यहां पर पहुंचते हैं। इन महलों का इतिहास जितना आकर्षित करता है। वैसे ही वहां पर कुछ ऐसी जगह भी मौजूद है जो भूतिया कही जाती है। आज हम आपको राजस्थान के कुलधरा गांव के बारे में बताते हैं जो भूतिया कहलाता है। इस गांव से कई सारी कहानी जुड़ी हुई है, जिसे सुनने के बाद लोग यहां रात ही नहीं बल्कि दिन में जाने से भी डरते हैं।

कुलधरा भूतिया गांव

राजस्थान का यह भूतिया गांव जैसलमेर से 17 किलोमीटर दूर मौजूद है। यह अब पूरी तरह से खंडहर हो चुका है। इससे कई सारी कहानी जुड़ी हुई है और शाम 6 बजे के बाद यहां पर कोई नहीं आता। इस गांव को एक श्राप मिला था जिसकी वजह से यह आज तक वीरान पड़ा है और कोई भी यहां पर नहीं बस पाया।

ऐसी है कहानी

इस गांव से जुड़ी कहानी 200 साल पुरानी है। पहले कुलधरा इस तरह से वीरान नहीं हुआ करता था। यहां पर परिवार ब्राह्मण रहा करते थे। बताया जाता है कि यहां पर लगभग 5000 लोगों की आबादी रहती थी जो खेती-बाड़ी किया करती थी। इनकी रियासत का दीवान मक्कार किस्म का था और उसकी गांव की एक लड़की पर बुरी नजर थी। लड़की को पाने की चाहत में वह किसी भी हद तक गुजरने को तैयार था और उसने गांव वालों को धमकी दी थी कि अगर पूर्णमासी तक लड़की उसे नहीं सौंपी गई तो वह हमला करेगा। वह लड़की को उठा कर ले जाएगा और सभी से दोगुना लगान भी लेगा।

पालीवाल ब्राह्मणों को ये अत्याचार मंजूर नहीं था इसलिए सभी ने एकजुट होकर रातों-रात गांव खाली कर दिया और जाते-जाते श्राप दिया कि यहां पर कोई भी व्यक्ति नहीं बस पाएगा। उसे दिन का दिन है और आज का दिन है इस गांव में कभी भी बसाहट नहीं हो पाई। कई बार लोगों ने यहां पर बसने की कोशिश की लेकिन कोई ना कोई अनहोनी हो गई। यहां से आज भी तरह-तरह की आहट सुनाई देने की बात कही जाती है।

दिन में जाते हैं पर्यटक

वीरान पड़े इस इलाके में प्रशासन भी कोई बसाहट नहीं कर पाया। अब ये पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। गांव के प्रवेश मार्ग पर एक बहुत बड़ा दरवाजा लगा दिया गया है। दिन के समय इसे पर्यटकों के लिए खुला रखा जाता है लेकिन शाम 6 बजे के बाद यहां कोई नहीं जाता। जो इस गांव का दीदार करना चाहता है वह सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक यहां जा सकता है।

Disclaimer- यहां दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न माध्यमों के जरिए बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।


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Diksha Bhanupriy

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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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