Popular Food: बीमारी के इलाज के लिए बनाई गई थी चाट, जानें कैसे मिला भारत को ये स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड

चाट एक बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजन है, जिसे भारत के हर हिस्से में पसंद किया जाता है। चलिए आज हम आपको इसकी उत्पत्ति के बारे में बताते हैं।

Diksha Bhanupriy
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Popular Food: दुनिया भर में वैसे तो अलग-अलग देश में अलग-अलग तरह के व्यंजन मिलते हैं जो अपनी खासियत की वजह से पहचाने जाते हैं। लेकिन भारत एक ऐसा देश है जहां के व्यंजन दुनिया भर में पसंद किए जाते हैं। यहां का स्ट्रीट फूड भी काफी खास है और लोगों को बहुत अच्छा लगता है। स्ट्रीट फूड में अगर सबसे ज्यादा किसी चीज की चर्चा होती है तो वह चाट है। जी हां, यह एक ऐसी चीज है जिसका नाम एक ही है लेकिन अलग-अलग जगह पर अलग-अलग इनग्रीडिएंट से इसे तैयार किया जाता है। कहीं पर पापड़ी चाट फेमस है तो कहीं का आलू चाट फेमस है।

चाट को कहीं अलग-अलग तरीके से बनाया जा सकता है और इसके मामले में हर किसी की अपनी पसंद है। चाट के नाम की बात करें तो इसका सीधा सा मतलब चटपटा स्वाद होता है। लेकिन क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है कि आखिरकार भारत में इसे बनाने की शुरुआत कैसे की गई होगी। यह डिश किस तरह से फेमस हुई जो आज मशहूर स्ट्रीट फूड के नाम से पहचानी जाती है। शादी ब्याह में भी इस जगह जरूर दी जाती है। तो चलिए आज हम आपको इसकी हिस्ट्री के बारे में बताते हैं।

चटपटा और चाटना से मिला नाम

जानकारी के मुताबिक चाट शब्द की उत्पत्ति चाटना शब्द से हुई है। ये इतना ज्यादा स्वादिष्ट था कि लोग अपनी उंगलियां चाटने लगे थे। आज भी कई जगह पर पत्तों से बनी हुई कटोरी में इसे परोसा जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन इसका जिक्र भारत के पुराने साहित्य में भी दिया गया है।

ऐसी है चाट की हिस्ट्री

इसके इतिहास की बात करें तो बताया जाता है कि 12वीं सदी में राजा सोमेश्वर तृतीया ने संस्कृत में कुछ चीज़ लिखी थी। जिसमें वडा को दूध, दही या चावल के पानी में भिगोकर रखने के बारे में लिखा गया है। तमिल साहित्य में दही को अदरक, दालचीनी और काली मिर्च के साथ मसालेदार बनाने के बारे में बताया गया है। उस समय में वड़े में दही मिलाकर उसे स्वादिष्ट बनाया जाता था।

मुगलों से है रिश्ता

इस चटपटे चाट का संबंध मुगल सल्तनत से भी है। बताया जाता है कि 16वीं शताब्दी में शाहजहां के शासनकाल के दौरान जब हैजा फैल था। तब इसे कंट्रोल करने की बहुत कोशिश की गई थी। इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि खाने में ढेर सारे मसाले का इस्तेमाल किया जाए ताकि शरीर के भीतर के जीवाणु खत्म हो जाए। इसी तरह से मसालेदार तीखी चाट का जन्म हुआ। एक दरबारी चिकित्सक हकीम अली को इसे बनाने का श्रेय दिया जाता है। कुछ इस तरह से बीमारी से लड़ने के लिए बनाई गई चीज एक स्वादिष्ट डिश बन गई।

मिलती है कई वैरायटी

भारत के अलग-अलग इलाके में आपको अलग-अलग वैरायटी के चाट खाने को मिल जाएंगे। कहीं पर चना आलू की चाट मिलती है तो कहीं पर चना पकौड़ी, समोसा चाट, कचौड़ी चाट, रगड़ा पेटिस इसे कई अलग-अलग नाम से पहचाना जाता है। भेलपुरी, सेव पुरी, झालमुरी भी इसी में शामिल है। मिसल पाव, उसल पाव, पाव भाजी भी काफी फेमस है।


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Diksha Bhanupriy

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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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