क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि आपने कभी चौकोर या तिकोना कुआं नहीं देखा? चाहे गाँव हो या शहर, कुएं का आकार हमेशा गोल ही क्यों होता है? ये कोई संयोग नहीं, बल्कि इसके पीछे मजबूत वैज्ञानिक और तकनीकी कारण हैं।
गोल कुएं का डिज़ाइन सिर्फ देखने में खूबसूरत नहीं होता, बल्कि इसकी मजबूती, टिकाऊपन और पानी खींचने की प्रक्रिया से भी जुड़ा होता है। आज हम आपको बताएंगे कि इंजीनियरिंग के नजरिए से कुएं को गोल बनाना ही सबसे सुरक्षित और किफायती क्यों माना जाता है।
दबाव को समान रूप से बाँटता है गोल आकार
कुएं की दीवारों पर चारों तरफ से मिट्टी का दबाव पड़ता है। अगर कुआं चौकोर या तिकोना होगा, तो कोनों पर अधिक दबाव पड़ेगा, जिससे टूट-फूट या गिरने का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन गोल आकार में यह दबाव बराबर बंटता है, जिससे दीवारें मजबूत बनी रहती हैं और संरचना ज्यादा टिकाऊ होती है।
कम लागत में ज्यादा मजबूती
गोल आकृति में निर्माण करना न सिर्फ मजबूत होता है, बल्कि इसमें सामग्री की भी कम खपत होती है। ईंटों, पत्थरों या सीमेंट का कम इस्तेमाल होता है, जिससे निर्माण की लागत भी घट जाती है। यही वजह है कि सदियों पहले जब संसाधन सीमित थे, तब भी लोग गोल कुएं ही बनाते थे।
पानी खींचने में आसान और कुशल डिज़ाइन
गोल कुएं से बाल्टी खींचना आसान होता है क्योंकि रस्सी हर दिशा से केंद्र की ओर जाती है। इससे बाल्टी किसी कोने में अटकती नहीं है और पानी निकालना भी आसान हो जाता है। यही कारण है कि पुराने ज़माने में जब मोटर या मशीनें नहीं थीं, तब गोल कुआं ही सबसे व्यावहारिक विकल्प माना गया।





