12 साल में एक बार खिलता है ये फूल, जानें इसकी खासियत

भावना चौबे
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neelakurinji Flower: दुनिया भर में अनेक प्रकार के फूल पाए जाते हैं। हर फूल का अपने आप में खास महत्व है। हर फूल की अपनी अलग खुशबू और पहचान होती है। फूल भला किसे नहीं पसंद होता, फूल एक ऐसी चीज है जो सभी को पसंद होती है। जैसे गुलाब, गेंदा, कमल, चमेली, सूरजमुखी इन फूलों के बारे में तो सभी जानते हैं, सभी ने अपने जीवन में इन फूलों को कभी ना कभी जरूर देखा होगा और इनकी खुशबू को भी जरूर महसूस किया होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक फूल ऐसा भी है जो 12 साल में सिर्फ एक बार खिलता है। जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने, इस फूल का नाम नीलकुरिंजी है। नीलकुरिंजी फूल एक ऐसा फूल है, जो दुनिया भर के दुर्लभ फूलों की श्रेणी में आता है।

कहां पाया जाता है यह फूल

यह फूल भारत के केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों के शोला जंगलों में पाया जाता है। नीलकुरिंजी फूल का वैज्ञानिक नाम स्ट्रोबिलैंथेस कुंथियाना है।

क्या है इस फूल की खासियत

नीलकुरिंजी फूल की एक खासियत यह है कि यह फूल 12 साल में एक बार खिलता है। इस फूल का रंग नीला होता है और यह फूलों की एक बड़ी चादर की तरह फैला हुआ होता है। नीलकुरिंजी फूल की खुशबू बहुत ही मनमोहक होती है। नीलकुरिंजी फूल को स्थानीय भाषा में कुरिंजी भी कहा जाता है। नीलकुरिंजी फूल के खिलने के समय इन जंगलों में एक अलग ही दृश्य देखने को मिलता है यह फूल पहाड़ों को नीले रंग से भर देते हैं। नीलकुरिंजी फूल की खूबसूरती को देखने के लिए हर साल लाखों पर्यटक इन जंगलों में आते हैं।

हम नीलकुरिंजी का फूल तोड़ सकते हैं?

नीलकुरिंजी का फूल नहीं तोड़ सकते। नीलकुरिंजी एक दुर्लभ फूल है जो 12 साल में एक बार खिलता है। यह फूल केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के शोला जंगलों में पाया जाता है। यह फूल शोला जंगलों की आरोग्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। जब नीलकुरिंजी खिलती है, तो इसका मतलब है कि शोला जंगल स्वस्थ हैं और उनमें पर्याप्त पानी है।

नीलकुरिंजी के फूलों को तोड़ने से शोला जंगलों को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा, नीलकुरिंजी के फूलों को तोड़ना एक कानूनी अपराध भी है। केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में नीलकुरिंजी के फूलों को तोड़ने पर जुर्माना या जेल की सजा हो सकती है।इसलिए, नीलकुरिंजी के फूलों को तोड़ने से बचना चाहिए। हमें इन फूलों की सुंदरता का आनंद लेना चाहिए और उन्हें सुरक्षित रखना चाहिए।नीलकुरिंजी के फूलों को तोड़ने के बजाय, हम इन फूलों की सुंदरता को कैमरे में कैद कर सकते हैं। हम इन फूलों के बारे में लोगों को जागरूक भी कर सकते हैं और उन्हें इन फूलों की सुरक्षा के लिए प्रेरित कर सकते हैं।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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