ATM Machine: आज के समय में बैंक से लेन देन करना और भी आसान हो गया हैं। हालांकि धीरे धीरे अब ऐसी कई तकनीके सामने आ रही हैं जिससे बैंकिंग सिस्टम और भी मजबूत और तेज होता हुआ दिखाई दे रहा हैं। दरअसल मोबाइल बैंकिंग से आजकल लोगों का बहुत कीमती समय बच जाता हैं और तेजी के साथ साथ सुरक्षित लेन देन भी हो जाता हैं। तो चलिए आज हम ATM के बारें में जानेंगे, जिसने हमारे लेन देन को और भी तेज कर दिया हैं।
जानिए एटीएम का पूरा नाम:
आजकल बैंक में से पैसा निकालना बहुत आसान हो गया है, क्योंकि एटीएम कार्ड का उपयोग किसी भी बैंक के एटीएम पर जाकर किया जा सकता है। लेकिन क्या आप इसका पूरा नाम जानते हैं? क्या कहते है एटीएम को? दरअसल इसका पूरा नाम “ऑटोमेटेड टेलर मशीन” है, जो व्यक्तियों को बिना मानव टेलर की आवश्यकता के बैंकिंग लेनदेन करने में मदद करता है।
कब हुआ एटीएम का आविष्कार?
दरअसल अमेरिकी आविष्कारक और बिजनेसमैन लुथर सिमजियन द्वारा वर्ष 1939 में एटीएम का आविष्कार किया गया था। हालांकि पहली ऑटोमेटेड बैंकिंग मशीन को स्वीकार नहीं किया गया था और इसे हटा दिया गया था। लेकिन बाद में, डोनाल्ड वेजेल ने सितंबर 1969 में अमेरिका के ब्रांच में ऑटोमेटेड बैंकिंग मशीन लगाई। जिसके बाद पहला कैश निकालने वाला एटीएम 27 जून 1967 को लंदन में लगाया गया था। जबकि भारत में, एटीएम सर्विस की शुरुआत 1987 में हुई थी, जब एचएसबीसी ने मुंबई में इस मशीन को लगाकर लोगों को यह सुविधा दी थी।
अलग-अलग देशों में अलग-अलग नाम:
वहीं आपको जानकारी दे दें कि एटीएम को विभिन्न देशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उदाहरण के लिए, यूनाइटेड किंगडम और न्यूजीलैंड में इसे “कैश प्वाइंट” या “कैश मशीन” कहा जाता है, जबकि ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में इसे “मनी मशीन” कहते हैं। वहीं भारत में, इसे “एटीएम मशीन” कहा जाता है। आजकल, भारत के हर शहर में एटीएम मशीनों की व्यापक उपलब्धता है, जिससे लोगों को पैसा निकालने में आसानी होती है।