पूरे देश में आज संविधान दिवस मनाया जा रहा है। आज ही के दिन साल 1950 में देश का संविधान स्थापित हुआ था। पहले इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी मनाया जाता था। दरअसल यह परंपरा लाहौर कांग्रेस अधिवेशन 1930 से जुड़ी हुई बताई जाती है। हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस को सेलिब्रेट किया जाता है। 26 नवंबर के दिन ही 1950 में देश ने अपना संविधान अपनाया था।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती पर इसे मानने की शुरुआत की थी। दरअसल संविधान दिवस मनाने के पीछे देश की नागरिकों को संवैधानिक मूल्यों के प्रति जागरूक करना है। संविधान दिवस के इस अवसर पर जानते हैं कैसे हुई संविधान दिवस मनाने की शुरुआत। और हमारी सभा ने इसे अपनाने में कितना समय लिया।
कैसे हुई इसकी शुरुआत?
दरअसल पहले इसे संविधान दिवस की जगह कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था। सन 1930 में लाहौर अधिवेशन संपूर्ण स्वराज की प्रतिज्ञा के पारित हो जाने के बाद इसे मनाना शुरू किया गया था। हालांकि 1950 में देश ने आज ही के दिन अपना संविधान अपनाया था। जिसके चलते इसे महत्वपूर्ण दिन माना जाने लगा। वहीं 2015 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 125वी जयंती के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज के दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। संविधान की सबसे रोचक बातों में से एक यह है कि इसे 26 नवंबर 1949 को अपना गया था लेकिन, 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया यानी पूरे 2 महीने बाद इसे लागू किया गया।
सभा को इसे अंतिम रूप देने में कितना समय लगा?
दरअसल कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि संविधान बन जाने के बाद स्थापित करने में दो महीने की अवधि क्यों ली गई? बता दें कि इन दो महीनों के बीच संविधान को अंग्रेजी भाषा से हिंदी भाषा में अनुवाद किया गया। इसके बाद संविधान को अपनाने लिए आम लोगों में इसका प्रचार भी किया गया। देश के संविधान को अंतिम रूप देने में सभा ने 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लिया। संविधान स्थापित करने के लिए कुल 166 बैठक की गई। कुछ ही समय में देशभर ने इसे अपना लिया।