Facts: क्यों होता है लैपटॉप चार्जर दो भागों में बंटा? जानें रहस्य

Facts: आपने शायद गौर किया होगा कि लैपटॉप चार्जर दो भागों में आते हैं। एक एडाप्टर जो दीवार में प्लग किया जाता है, और दूसरा केबल जो लैपटॉप से जुड़ता है।

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Facts: आजकल लैपटॉप लगभग हर घर में आम हो गए हैं। काम, पढ़ाई, मनोरंजन और दैनिक कार्यों के लिए इसका उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसकी पोर्टेबिलिटी और कार्यक्षमता इसे डेस्कटॉप कंप्यूटर का एक लोकप्रिय विकल्प बनाती है। लैपटॉप हमें कहीं भी काम करने, इंटरनेट ब्राउज करने, फिल्में देखने, गेम खेलने और बहुत कुछ करने की सुविधा देते हैं। बैटरी से चलने वाले होने के कारण, ये विद्युत आपूर्ति पर निर्भर नहीं रहते हैं, जिससे उन्हें अधिक लचीला बनाता है। हालांकि, लैपटॉप का अत्यधिक उपयोग बैटरी पर दबाव डाल सकता है, जिससे इसकी उम्र कम हो सकती है। इसलिए, उन्हें सही तरीके से चार्ज करना और उपयोग करना महत्वपूर्ण है। नियमित रखरखाव और सावधानी से लैपटॉप की आयु और कार्यक्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

लैपटॉप चार्जर के एक हिस्से में एक काला बॉक्स होता है?

क्या आपने कभी गौर किया है कि लैपटॉप चार्जर के एक हिस्से में एक काला बॉक्स होता है? यह फेराइट बीड, फेराइट चोक या फेराइट सिलेंडर के नाम से जाना जाता है। यह महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक चीज लैपटॉप तक पहुंचने वाले हाई फ्रीक्वेंसी नॉइज़ को कम करने का काम करता है। यह कैसे काम करता है? चलिए जानते हैं। फेराइट बीड में लोहे की मैग्नेट सामग्री होती है। जब AC करंट इस सामग्री से होकर गुजरता है, तो मैग्नेट एरिया उत्पन्न होता है। यह चुंबकीय क्षेत्र हाई फ्रीक्वेंसी नॉइज़ को अवशोषित करता है, जिससे DC करंट स्वच्छ और सुचारू हो जाता है।

लैपटॉप को करता है प्रोटेक्ट

लैपटॉप चार्जर का वह हिस्सा जहां से तार दो भागों में बंट जाता है, केवल तारों को जोड़ने का काम नहीं करता है। यह एक महत्वपूर्ण सुरक्षा घटक भी है जिसे फेराइट बीड या फेराइट चोक कहा जाता है। यह सिलेंडर जैसा बॉक्स रेडियो फ्रीक्वेंसी इंटरवेंशन से लैपटॉप को बचाता है। यदि यह बॉक्स नहीं होता, तो हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी स्क्रीन में झिलमिलाहट और अन्य समस्याएं पैदा कर सकती थी। यह सुरक्षा कवच अधिकांश लैपटॉप चार्जर में पाया जाता है, हालांकि एप्पल चार्जर में यह प्लग में ही सम्मिलित होता है।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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