भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। हम सब समय के साथ grow करते हैं। यही होना भी चाहिए। हम कहां से अपनी जीवन यात्रा शुरु करते हैं, वो इतना महत्वपूर्ण नहीं है। लेकिन कहां पहुंचतें हैं, ये बहुत महत्वपूर्ण है। हम सबका एक पुराना संस्करण (older version) होता है और एक नया संस्करण (new version)। हमें अपने जीवन की घटनाओं, लोगों और परिस्थितियों से सीखकर हमेशा नए वर्जन को बेहतर बनाना चाहिए। आज हम देखेंगे कि किस तरह एक ही शख्स के दो रूप होते हैं…एक पुराना वाला और एक नया और पहले से बेहतर।
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- ओल्डर वर्जन – मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता/सकती, मुझे छोड़कर मत जाओ। न्यू वर्जन – अपने जीवन में मुझे कमजोर लोग नहीं चाहिए, बेशक मेरे जीवन से चले जाओ।
- ओल्डर वर्जन – मुझसे ये काम नहीं होगा, सब मेरा मजाक उड़ाएंगे। न्यू वर्जन – मैं ये काम जरुर करूंगा, भले इसमें मुझे कामयाबी नहीं मिले लेकिन मैंने कोशिश की ये संतोष जरुर मिलेगा।
- ओल्डर वर्जन – मैं बहुत मजबूत हूं, किसी के सामने रोना नहीं है। मैं किसी को अपनी कमजोरी नहीं दिखा सकता, मुझे किसी की मदद नहीं चाहिए। न्यू वर्जन – मैं एक इंसान हूं और मुझे भी मदद की जरुरत पड़ती है। किसी की मदद लेने में कोई शर्मिंदगी नहीं है।
- ओल्डर वर्जन – मैं कभी हार नहीं मान सकता। चाहे कोई भी रास्ता अपनाना पड़े, लेकिन मुझे हर कीमत पर सफलता चाहिए। न्यू वर्जन – सफलता अच्छी है लेकिन मन के सुकून की कीमत पर नहीं। मुझे किसी को दुख या नुकसान पहुंचाकर सफल नहीं होना।
- ओल्डर वर्जन – मेरी सफलता का पैमाना बैंक बैलेंस और संसाधन है। न्यू वर्जन – मेरी असली सफलता मन की शांति और साथ खड़े मेरे दोस्त हैं।
- ओल्डर वर्जन – मैं किसी को अपने से आगे बढ़ते नहीं देख सकता। मैं बेस्ट हूं। न्यू वर्जन – हर किसी को अपनी काबिलियत के मुताबिक कामयाबी मिलती है। मैं अपनी कैटेगरी में बेहतरीन हूं लेकिन इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि मुझसे भी बेहतर लोग हैं।
- ओल्डर वर्जन – मुझे सब कुछ आता है। न्यू वर्जन – इस दुनिया में सीखने लायक इतना कुछ है कि एक जीवन छोटा पड़ जाए। मैं अभी भी सीखने की प्रक्रिया में हूं।
- ओल्डर वर्जन – मैं कभी गलत नहीं हो सकता, मैं कभी सॉरी नहीं बोलता। न्यू वर्जन – इंसान से गलती होती है। सॉरी बोलने से कोई छोटा नहीं हो जाता।