जब डाकघर और फोन नहीं थे तब कैसे भेजे जाते थे संदेश, जानिए पुराने जमाने की बाकमाल टेक्नोलॉजी

जब फोन नहीं थे..इश्क तो तब भी था। उस समय प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे को खत कैसे भेजते थे। जब पोस्ट ऑफिस नहीं थे..रिश्ते तो तब भी थे। तो आखिर उस ज़माने में एक दूसरे की खैर खबर लेने का ज़रिया क्या होता था। अगर पीछे मुड़कर देखें तो हमें संचार के ऐसे बेहतरीन माध्यम नज़र आते हैं, जिनके बारे में हम शायद कल्पना भी नहीं सकते हैं।

Shruty Kushwaha
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Past Time Messaging Technologies : आपको वो गीत तो याद होगा ‘कबूतर जा जा जा’..और याद होगी वो नायिका जो अपने प्रिय को कबूतर के ज़रिए संदेश भेज रही है। लेकिन इस समय तक तो पोस्ट ऑफिस, टेलीफोन सब आ गए थे। फिर आखिर फिल्म में कबूतर को संदेशवाहक क्यों बनाया। इसके पीछे तो खैर पूरी फिल्मी कहानी है जो हम सबको पता है। लेकिन क्या कबूतर के द्वारा चिट्ठी भेजने की कहानी आप जानते हैं। या फिर कभी सोचा है कि जब डाकघर नहीं थे, टेलीफोन नहीं था, इंटरनेट नहीं था..तब लोग एक दूसरे तक सूचनाएं, संदेश और अपनी अन्य जानकारियां कैसे भेजते थे।

हममें से कई लोगों को वो दिन भी याद होंगे जब घरों में तार आया करता था। नीला अंतर्देशीय, पीला पोस्टकार्ड और रंगीन लिफाफों की दुनिया भला कैसे भुलाई जा सकती है। वो दिन, जब टेलीफोन के लिए एप्लाई करने के बाद चार-पांच साल तक लग जाते थे नंबर आते आते। या जब लोग रात का इंतज़ार करते थे फोन करने के लिए क्योंकि तब चार्जेस कम होते थे। और जब शुरु शुरु में मोबाइल फोन आया तो इनकमिंग कॉल के लिए भी पैसे देने पड़ते थे। महज़ पच्चीस-तीस साल पहले जब ये हाल था, तो दशकों पहले लोग क्या कहते होंगे।

पहले कैसे भेजे जाते थे संदेश

आज हम आपके लिए कुछ ऐसी ही दिलचस्प बातें लेकर आए हैं। कि आखिर पहले के समय संदेश, पाती, हालचाल, समाचार, जानकारी, सूचना वगैरह कैसे पहुंचाई जाती थी। जहा इंसान है वहां रिश्ते हैं,  त्योहार हैं, शादी ब्याह है, सुख दुख है और इन सबके बारे में एक दूसरे को बताया जाना भी स्वाभाविक है। तो वो क्या तरीके थे, जो इन बातों को पहुंचाने का माध्यम बनते थे।

पुराने जमाने के संचार माध्यम

1.  राज्य द्वारा स्थापित संदेशवाहक (Messengers) : प्राचीन काल में शाही दरबारों और राजाओं द्वारा संदेश भेजने के लिए विशेष संदेशवाहकों का उपयोग किया जाता था। इन संदेशवाहकों को घोड़े, ऊँट या पैदल भेजा जाता था। उदाहरण के लिए, पर्शिया (ईरान) में दारा के समय में एक विशाल संदेशवाहक प्रणाली थी जिसे ‘किंग्स रोड’ कहा जाता था।

2. व्यक्तिगत पत्रवाहक (Personal Messengers) : व्यक्तिगत तौर पर भी लोग किसी विश्वसनीय व्यक्ति को संदेश पहुंचाने के लिए भेजते थे। इन पत्रवाहकों के माध्यम से व्यापारी, सैनिक या नागरिक अपने रिश्तेदारों और सहकर्मियों से संपर्क करते थे। भारतीय उपमहाद्वीप में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में संदेश भेजने के लिए हरकारे का उपयोग किया जाता था।

3. कबूतर द्वारा संदेश पत्र (Carrier Pigeons) : यह तरीका प्राचीन समय से ही अस्तित्व में था। खासकर युद्ध के दौरान सैनिकों ने संदेश भेजने के लिए कबूतरों का इस्तेमाल किया। कबूतर संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने में सक्षम थे और बहुत तेज़ी से यात्रा करते थे। यह तरीका विभिन्न सभ्यताओं जैसे रोम, मिस्र और चीन में काफी प्रचलित था।

4. जंगली जानवरों द्वारा संदेश भेजना (Animal Messengers) : कुछ संस्कृतियों में जंगली या प्रशिक्षित जानवरों को संदेश भेजने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। उदाहरण के लिए, भारत में घोड़े और ऊंट का उपयोग लंबी दूरी के संदेशों को पहुँचाने के लिए किया जाता था। मंगोल साम्राज्य में घोड़े पर सवार संदेशवाहकों का एक विशाल नेटवर्क था जो तेज़ी से संदेश पहुँचाने का काम करता था।

5. ध्वनि संकेत (Sound Signal and Symbols): खास जगहों पर लोग ध्वनि या दृश्य संकेतों का भी उपयोग करते थे। उदाहरण के लिए, ध्वनि संकेतों के रूप में ढोल या घंटी बजाकर संदेश देना या फिर ध्वजों और बैनरों के माध्यम से संदेश देना। समुद्रों पर व्यापार करने वाले नाविक घंटियों, शंख, ढोल या तोपों की आवाज से संदेश भेजते थे। एक तोप की गोली या घंटी की आवाज एक निश्चित संदेश का संकेत होती थी। मध्यकालीन यूरोप में किले और महलों में इस तरह से संदेश भेजे जाते थे।

6. पानी द्वारा संदेश भेजना (Waterborne Messages) : कुछ सभ्यताओं ने संदेशों को पानी के माध्यम से भेजने के लिए चमत्कारी पेड़ की छाल का उपयोग किया। उदाहरण के लिए, मिस्र और रोम में लोग ‘पेपर’ और अन्य सामग्री को जल में डुबोकर संदेश लिखते थे, ताकि वह पानी के साथ बहकर तय स्थान तक पहुंचे। यह तरीका विशेषकर नदी वाले या तटीय क्षेत्रों में उपयोगी था।

7. इंकाओं का “चिली” सिस्टम (Incan Quipus): प्राचीन इंकाओं ने संदेश भेजने के लिए “क्विपस” का इस्तेमाल किया, जो एक तरह के धागे होते थे जिनमें गाँठें और रंग होते थे। इन गाँठों के माध्यम से विभिन्न संदेशों और संख्याओं का संकेत मिलता था। यह प्रणाली संचार का एक रोचक और भिन्न तरीका था, जो न सिर्फ शब्दों बल्कि संख्याओं और घटनाओं को भी बताता था।

8. सार्वजनिक नोटिस (Public Notices) : पहले के समय में राजा-महाराजाओं द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर संदेश या आदेश प्रकाशित करना एक और तरीका था। पुराने समय में पत्थर की स्लेटों, धातु की पट्टियों या कागज पर संदेश लिखकर उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर चिपकाया जाता था। उदाहरण के लिए, ऐतिहासिक “एडीक्ट्स” (Edicts) को पाथल गुफाओं या स्तंभों पर लिखा जाता था।

(डिस्क्लेमर : ये लेख सामान्य जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)


About Author
Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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