भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। दीपावली (Diwali) के दो दिन बाद भाई बहन के निश्छल प्रेम और समर्पण का त्योहार भाई दूज (Bhai Dooj) मनाया जाता है। आज (6 नवंबर) देशभर में भाई दूज पर्व की धूम है। यह रक्षाबंधन जैसा ही पर्व होता है, लेकिन इसमें भाई के हाथों में राखी नहीं बांधी जाती। इस दिन बहन अपने भाई को घी का टीका लगाती हैं और उनके खुशहाल जीवन की कामना करती हैं और विवाहित महिलाएं भाइयों को अपने घर पर आमंत्रित कर उन्हें तिलक कर भोजन कराती हैं। इस दिन भाई अपनी बहन को कुछ न कुछ उपहार भेंट करते हैं।
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हिंदू धर्म में हर त्योहार के पीछे जुड़ी कुछ कहानियां, पर्व से जुड़े महत्व और अलग-अलग मान्यताएं होती हैं। ऐसी ही कुछ मान्यताएं दीपावली के दो दिन बाद आने वाली भाई दूज को लेकर भी है। इस दिन यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन किया जाता है और मान्यता है कि यम द्वितिया के दिन भाई-बहन को हाथ पकड़ कर यमुना नदी में स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से भाई को दीर्ध आयु और बहन को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। एक अन्य मान्यता ये भी है की इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा के घर का रुख किया था। भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने भाई का स्वागत दिये जलाकर कर किया था और तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना की थी।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त (6 नवंबर 2021)
राहुकाल- सुबह 09:25 बजे से 10:45 तक
द्वितीया तिथि- 06 नवम्बर को शाम 07:43 बजे तक
भाई दूज का शुभ समय – दोपहर 01:17 बजे से 03:31 बजे तक
राहुकाल- सुबह 09:25 बजे से 10:45 तक
इस विधि से करें तिलक
भाई दूज के दिन भाई को घर बुलाकर तिलक लगाकर भोजन कराने की परंपरा है। इस दिन भाई के लिए पिसे हुए चावल से चौक बनाएं। चावल का थोड़ा घोल भाई की हथेली में रखें। भाई को तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद भाई की आरती उतारें। भाई के हाथ में कलावा बांधें। मिठाई खिलाएं और इसके बाद भाई को भोजन कराएं। इस दिन भाई को बहन को कुछ न कुछ उपहार में जरूर देना चाहिए।