भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सिख धर्म के संस्थापक और सबसे पहले गुरू गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Jayanti) की आज (19 नवंबर) 552वीं जयंती मनाई जा रही है। इसे कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। सिख धर्म में गुरु नानक जयंती बहुत बड़ा त्यौहार माना जाता है जिसे प्रकाश पर्व या फिर गुरु पर्व भी कहते हैं।
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गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में लाहौर के पास राय भोई की तलवंडी (जिसे अब ननकाना साहिब से जाना जाता है) में हुआ था। उनके जन्म के उपलक्ष्य में ही विश्व भर में गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। गुरु नानक साहब सिख धर्म के पहले गुरु और संस्थापक थे जिनके अनमोल वचन और बोल लोगों को सही रास्ते पर चलने की शिक्षाएं देती हैं और लोगों को प्रेरित करती हैं। उन्होंने न केवल भारत बल्कि अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी उपदेश दिए। 1539 ई. में करतारपुर (जो अब पाकिस्तान में है) में उनकी मृत्यु हुई। अपनी मृत्यु से पहले ही उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने शिष्य भाई लहना के नाम की घोषणा की, जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए। यही गुरु अंगद देव सिख धर्म के दूसरे गुरु बन थे।
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गुरु नानक देव जी को मानने वाले उन्हें नानक और नानक देव, बाबा नानक और नानक शाह जी जैसे नामों से संबोधित करते हैं। गुरु नानक पर्व के दिन सुबह प्रभात फेरी निकाली जाती है और गुरुद्वारों में कीर्तन व लंगर का आयोजन किया जाता है। सिख धर्म के लोग इस दिन को एक उत्सव की तरह मनाते हैं। गुरुनानक जी ने अपने उपदेशों से लोगों को जीवन की सही राह दिखाई।