भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। हर साल आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika vrat) मनाया जाता है। इस व्रत को जीतिया और जीउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने बच्चों के लिए व्रत रखती हैं। इस साल जिउतिया व्रत 17 सितंबर या 18 सितंबर को रखा जाएगा। कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं। हिंदू धर्म में जीतिया व्रत का बहुत खास महत्व होता है। यह व्रत माताएं अपने संतान की लंबी उम्र, निरोगी काया और खुशहाल जीवन के लिए रखती हैं। व्रत की शुरुआत स्नान-खान से शुरू होकर पारण तक रहती है। यह व्रत निर्जला होता है। इस दिन अलग-अलग प्रकार के सब्जी साग को बनाया जाता है, जिसका सेवन बहुत शुभ माना जाता है। आइए जानें जीतिया व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का सही समय।
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शुभ मुहूर्त
17 सितंबर दोपहर दोपहर 2:24 मिनट पर अष्टमी तिथि शुरू हो रही है और 18 सितंबर दोपहर 4:32 पर अष्टमी तिथि समाप्त हो जाएगी इसलिए। उदया तिथि के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा। 19 सितंबर 6:18 बजे पारण का शुभ समय है। 17 सितंबर को स्नान-खान होगा।
पूजा की विधि
- सबसे पहले नहाकर साफ सुथरे वस्त्र पहनें।
- गाय के गोबर से पूजा स्थल को लिपें। इसके बाद गड्ढा कर के एक छोटा का तालाब बनाएं और पास में एक पाकड़ को सीधे खड़ा कर दें।
- शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की के मूर्ति को पानी से भरे बर्तन में स्थापित करें।
- इसके बाद अक्षत, रोली, लाल और पीली रूई रोड़ी से सजाएं।
- अब भोग अर्पण करें।
- मिट्टी या गाय के गोबर से चील और मादा सियार की प्रतिमा बनाएं।
- अब लाल सिंदूर चढ़ाएं।
- उसके बाद अपने संतान की तरक्की और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें।
- इसके बाद व्रत कथा सुनना ना भूलें।
Disclaimer: इस खबर का उद्देश्य केवल शिक्षित करना है। एमपी ब्रेकिंग न्यूज इन बातों का दावा नहीं करता। कृपया विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें।