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Fri, Dec 19, 2025

जन्माष्टमी 2025: कान्हा जी को प्रसन्न करने का गुप्त राज, जिसे जानकर बरसेगी अपार कृपा

Written by:Bhawna Choubey
Published:
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी कृष्ण जन्माष्टमी 2025, 16 अगस्त को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन उपवास, पूजा और रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार, जन्माष्टमी की पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है जब इसके साथ श्रीकृष्ण जन्म की पावन व्रत कथा अवश्य पढ़ी और सुनी जाए।
जन्माष्टमी 2025: कान्हा जी को प्रसन्न करने का गुप्त राज, जिसे जानकर बरसेगी अपार कृपा

भारत में जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2025) केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति का अनोखा संगम है। कान्हा जी के भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, व्रत कथा सुनते हैं और मध्यरात्रि को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं। इस मौके पर मंदिरों और घरों में झूलों पर विराजमान लड्डू गोपाल का विशेष श्रृंगार और पूजन किया जाता है।

ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा तब तक अधूरी रहती है जब तक भक्तजन श्रीकृष्ण जन्म की कथा न सुनें। इस कथा के महत्व का उल्लेख पुराणों और शास्त्रों में विस्तार से मिलता है। कहा जाता है कि कथा सुनने से मनुष्य को पापों से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

जन्माष्टमी व्रत कथा का महत्व

कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत कथा सुनना केवल परंपरा नहीं, बल्कि धार्मिक अनिवार्यता भी है। इस कथा में बताया गया है कि किस प्रकार भगवान विष्णु ने आठवें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण को मथुरा की कारागार में जन्म दिया। कथा सुनने से भक्तजन के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और घर में लक्ष्मी का वास होता है।

कथा का आरंभ

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मथुरा के राजा कंस को यह भविष्यवाणी सुनाई दी थी कि उसकी मृत्यु उसकी बहन देवकी के आठवें पुत्र के हाथों होगी। कंस ने देवकी और वसुदेव को कैद कर लिया। जब आठवां पुत्र यानी श्रीकृष्ण जन्मे, तब भगवान की लीला से कारागार के ताले अपने आप खुल गए और यमुनाजी ने रास्ता दिया। वसुदेव जी ने शिशु कृष्ण को सुरक्षित गोकुल पहुंचाया। यही कथा जन्माष्टमी की रात भक्तगण बड़े मनोयोग से सुनते हैं।

व्रत कथा सुनने का तरीका

जन्माष्टमी की रात उपवास करने वाले भक्तों को पहले श्रीकृष्ण का अभिषेक, श्रृंगार और आरती करनी चाहिए। इसके बाद परिवार के सभी सदस्य मिलकर व्रत कथा सुनें। इस दौरान कान्हा जी के सामने दीपक जलाना और प्रसाद अर्पित करना जरूरी माना जाता है। कथा के बाद भक्तजन “नंद के आनंद भयो” जैसे भजनों से श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का स्वागत करते हैं।

कथा से जुड़ा धार्मिक संदेश

श्रीकृष्ण जन्म कथा केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि जीवन का बड़ा संदेश भी देती है। यह हमें सिखाती है कि अधर्म और अन्याय कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में धर्म और सत्य की ही जीत होती है। कथा सुनने से न सिर्फ आध्यात्मिक शांति मिलती है बल्कि परिवार में एकजुटता और सुख-शांति का वातावरण भी बनता है।