भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। नवरात्रि (Navratri 2021) नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है जो देवी दुर्गा को समर्पित है। अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से मनाए जाने वाले प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक, नवरात्रि भक्तों के लिए बहुत महत्व रखती है। संस्कृत में ‘नवरात्रि’ शब्द का अर्थ है ‘नौ रातें’। नौ दिनों तक ‘माँ दुर्गा के नौ रूपों’ की पूजा की जाती है।
आज से Navratri 2021 की शुरुआत हो रही है, जाने घट स्थापना सहित मुहूर्त और विधि
- नवरात्र के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में घर के मंदिर में अथवा घर के ईशान कोण या पूर्व दिशा में लकड़ी की चौकी पर लाल अथवा पीले वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर माँ दुगा की मूर्ती या तसवीर को स्थापित करना चाहिए।
- प्रतिपदा के दिन सुबह शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना, के लिए सबसे पहले जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें, इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाकर फिर एक जौ की परत बिछाएं।
- इसके ऊपर फिर मिट्टी की और उसके बाद एक परत जौ की बिछाएं ततपश्चात उसको जल से अच्छी तरह से गीला करके उसके पश्चात उसपर सोने, तांबे अथवा मिट्टी के कलश की विधिपूर्वक स्थापित करें।
- इस बात का विशेष ध्यान दे कि जो कलश आप स्थापित कर रहे है वह मिट्टी, पीतल , तांबा, चाँदी या सोने का होना चाहिए। लेकिन लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग बिलकुल भी प्रयोग नहीं करे ।)
- कलश को गंगा जल से भरकर उसमें पंचरत्न, रोली, मीठा, चाँदी का सिक्का डालकर उसपर आम के पत्ते लगाकर कलश को ढक्कन से ढक दें।
- फिर उस ढक्कन में अक्षत भरकर उसपर जटा वाला नारियल किसी लाल चुनरी में कलावा से लपेटकर उस पर रख दें । कलश के कंठ पर मोली अवश्य ही बाँध दें।
- इस बात का विशेष ध्यान दे की कलश पर रखे नारियल का मुँह किस ओर हो…….कलश के ऊपर जो नारियल रखा जाता है उसे भगवान गणेश का प्रतीक भी माना जाता है,
- नारियल का मुँह उस तरफ होता है, जिस ओर से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है। शास्त्रनुसार नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में बढ़ते है।
- नारियल का मुख ऊपर की तरफ रहने से रोग प्रबल होते हैं, नारियल का मुख पूर्व की तरफ रखने से धन की हानि होती है लेकिन नारियल का मुख साधक की तरफ रहने से शुभ फलो की प्राप्ति होती है, इसलिए नारियल का मुँह सदैव भक्त की तरफ ही होना चाहिए।
- इसके पश्चात् सभी देवी देवताओं का कलश में आवाहन करें। “हे माँ दुर्गा और सभी पूज्य देवी देवता आप सभी नवरात्र के इन नौ दिनों के लिए हमारे यहाँ पर पधारें।” इसके पश्चात् दीपक , धूप, अगरबत्ती जलाकर माँ की तस्वीर एवं कलश का पूजन करें। फिर माँ को फूल, माला, लौंग इलायची, नैवेद्य,पंचमेवा, इत्र, शहद, फल मिठाई आदि भी अवश्य ही अर्पित करें ।
- नवरात्र के दौरान यदि हो सके तो कलश के सामने अखंड दीप भी जलाएं। यदि घी का दीपक लगाएं तो ध्यान रखें कि उसे माता की मूर्ति के दायीं ओर रखें और यदि तेल का दीपक जला रहे हैं, तो उसे मूर्ति के बायीं ओर रखें।
- दीपक की स्थापना करते समय ध्यान रहे की दीपक के नीचे “चावल” अथवा “सप्तधान्य” रखकर उसके ऊपर दीपक को स्थापित करें । दीपक के नीचे “चावल” रखने से माँ लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है तथा दीपक के नीचे “सप्तधान्य” रखने से समस्त प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलता है।
- नवरात्र में माँ के आगे जो दीपक जलाएं उसमें रुई की जगह यदि सूती लाल कलावे का प्रयोग किया जाय तो माँ की शीघ्र ही कृपा प्राप्त होती है इसलिए दीपक की बत्ती में सूती लाल कलावे का प्रयोग करें।
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शारदीय नवरात्रि गुरुवार से घर-घर होगी घट स्थापना
- शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से घट स्थापना अभिजित मुहूर्त्त में दोपहर 11:52 से 12:38 बजे श्रेष्ठ
- इस बार देवी भक्त अभिजीत मुहूर्त में अपने घरों में ही शास्त्रीय परम्परा अनुसार घट स्थापना कर सकेंगे l
- देवी पुराण में द्वि-स्वभाव लग्न युक्त प्रातः काल में देवी का आवाह्न एवं घट स्थापना पूजन करने का विधान है। घट
- स्थापना हेतु चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग दोनों को त्याज्य बताया गया है।
- इस बार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा गुरुवार दिनांक 07 अक्टूबर 2021 को शारदीय नवरात्र का आरम्भ हो रहा है। देवी पुराण अनुसार प्रातःकाल में ही देवी का आह्वान एवं घटस्थापना पूजन करने का विधान है। लेकिन इस बार 7 अक्टूबर गुरूवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा दोपहर 01:46 बजे तक रहेगी एवं इसी दिन चित्रा नक्षत्र रात्रि 09:13 बजे तक है।
- वैधृति योग भी रात्रि 01:39 बजे तक है।जो कि घटस्थापना हेतु पूर्णतया: वर्जित बताया गया है। इस दिन 7 अक्टूबर 2021 को प्रतिपदा युक्त चित्रा व वैधृति होने से प्रात:काल व रात्रि में घटस्थापना निषेध होने से
- दोपहर अभिजित वेला में 11:52 से 12:38 बजे तक घट स्थापना का मुहूर्त ही सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
- ज्ञात रहे इस बार नवरात्रि चतुर्थी तिथि क्षय होने के कारण 9 दिन के बजाय 8 दिन यानी 14 अक्टूबर को समाप्त होंगे