भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। चैत्र नवरात्रि का यह खास मौका है और भक्त माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना में डूबे है, नवरात्र के छठवें दिन माँ कात्यायनी का पूजन अर्चन किया जा रहा है, कहा जाता है कि इनकी पूजा से व्यक्ति को अपनी सभी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है, धर्म शास्त्रों की मानें तो ऋषि कात्यायन के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण ही माता का नाम कात्यायनी पड़ा, मान्यता है कि माता कात्यायनी की पूजा करने से रोग, शोक और भय से छुटकारा मिलता है। सिंह पर सवार माँ दुर्गा का यह छटवाँ अवतार माता कात्यायनी में सफेद कमल और तलवार लिए हुए है। कहा जाता है माँ का यह रूप जितना सौम्य है राक्षसों के लिए उतना ही क्रूर।
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कहा जाता है कि मां कात्यायनी ने गोपिकाओं की पीड़ा हरने का विधान भी बताया था। मान्यता है कि मां की विधि विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसके अलावा याचक के रोग शोक, दुख और भय का तत्काल नाश हो जाता है। वहीं, अविवाहित युवतियों और युवकों के लिए मां की पूजा करना सबसे फलदायी साबित होता है। माँ के इस रूप के जन्म के बारे मे पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि एक प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती जगदम्बा को पुत्री के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी, कठिन तपस्या के पश्चात् महर्षि कात्यायन के यहां देवी जगदम्बा ने पुत्री रूप में जन्म लिया और वे मां कात्यायनी कहलाईं, इनका प्रमुख गुण खोज करना था, मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं, कहा जाता है कि नवरात्रि के दिन इनकी पूजा करने से साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है, योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। फिलहाल माँ की भक्ति और उपासना में हकत डूबे है, राजधानी भोपाल में भी सुबह से ही भक्त मंदिरों में जुट रहे है और देर रात जारी धार्मिक आयोजनों में शामिल हो रहा है।