Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की विधि पूर्वक पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां शैलपुत्री की पूजा से साधक के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं और उसे सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अगर आप भी नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की विधि विधान से पूजा अर्चना करना चाहते हैं और माता रानी की कृपा पाना चाहते हैं तो नवरात्रि के पहले दिन भक्ति और श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करें। पूजा के दौरान मंत्रों का उच्चारण और विधिपूर्वक आराधना करना बेहद शुभ माना जाता है।
मां शैलपुत्री का स्वरूप
अगर मां शैलपुत्री के स्वरूप की बात की जाए तो मां शैलपुत्री का स्वरूप सनातन शास्त्रों में अत्यंत दयालु और कृपालु के रूप में वर्णित है। माता रानी अपने भक्तों पर अपार कृपा बरसती हैं, जिससे साधक की हर मनोकामना पूर्ण होती है। मां का मुखमंडल कांति में तेज से प्रकाशमान है जो तीनों लोकों का कल्याण करता है।
उनके पास दो भुजाएं हैं। एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में पुष्प है जो उनकी शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक है। मार्शल पुत्री की सवारी वृषभ है जो उनकी स्थिरता और बल को दर्शाता है। उनका यह स्वरूप भक्तों को सुरक्षा, समृद्धि और सुख की अनुभूति कराता है।
घटस्थापना का मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार 3 अक्टूबर को मां शैलपुत्री की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:15 से लेकर 7:22 तक है। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त भी महत्वपूर्ण है जो 11:46 से दोपहर 12:33 तक रहेगा। इन दोनों ही शुभ समय पर घटस्थापना करके आप मां शैलपुत्री की पूजा कर सकते हैं। इस दौरान विधि विधान और श्रद्धा के साथ की गई पूजा से मां की कृपा प्राप्त होती है जो आपके जीवन में सुख समृद्धि और कल्याण का संचार करती है।
मां शैलपुत्री की पूजा विधि
पूजा विधि के अनुसार साधक को ब्रह्मा बेला में उठकर मां शैलपुत्री को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करनी चाहिए। इसके बाद घर की साफ सफाई करना आवश्यक है। साथ ही गंगाजल का जल का छिड़काव पूरे घर में करना चाहिए। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करना चाहिए।
स्नान के समय अंजलि में जल लेकर आजमान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद लाल रंग के कपड़े पहनें। सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य अर्पित करें। फिर पूजा घर में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां की प्रतिमा या चित्र कलश स्थापित करें। नवरात्रि के पहले दिन आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
1. वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
2. या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥