International Yoga Day 2024: क्या आप वजन कम करने और एक साथ फुर्तीला शरीर पाने का आसान तरीका ढूंढ रहे हैं? तो फिर सूर्य नमस्कार से बेहतर विकल्प हो ही नहीं सकता। यह प्राचीन योग अभ्यास सिर्फ शारीरिक फायदे ही नहीं देता, बल्कि मानसिक शांति और फोकस भी बढ़ाता है। सूर्य नमस्कार 12 आसनों का एक क्रम है, जिसे करने में ज्यादा समय नहीं लगता और यह पूरे शरीर के लिए व्यापक कसरत का काम करता है। योग विशेषज्ञ के अनुसार, इस अभ्यास की खास बात यह है कि हर आसन शरीर के अलग-अलग अंगों को लक्षित करता है, जिससे समग्र स्वास्थ्य लाभ मिलता है। नियमित अभ्यास के कुछ ही हफ्तों में आप अपने आप को अधिक चुस्त-दुरुस्त और फिट महसूस करेंगे। अगर आप अपने डेली रूटीन में सूर्य नमस्कार को शामिल करें, तो यह न सिर्फ आपके शरीर को मजबूत बनाएगा बल्कि मन को भी शांत रखेगा। तो देर किस बात की? योगा मैट बिछाएं और सूर्य नमस्कार के जादुई 12 आसनों के साथ एक स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ें।
सूर्य नमस्कार के 12 आसन
प्रणामासन: यह आसन नमस्कार की मुद्रा में खड़े होकर किया जाता है। यह मन को शांत करता है और एकाग्रता बढ़ाता है।
हस्त उत्तानासन: इस आसन में सांस छोड़ते हुए हाथों को ऊपर उठाया जाता है और रीढ़ की हड्डी को सीधा किया जाता है। यह रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और पाचन क्रिया में सुधार करता है।
हस्तपादासन: इस आसन में सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुककर हाथों से पैरों को छूने का प्रयास किया जाता है। यह पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है और पाचन क्रिया में सुधार करता है।
अश्व संचालनासन: इस आसन में एक पैर को पीछे की ओर ले जाकर घुटने को मोड़ा जाता है और दूसरे पैर को आगे की ओर सीधा रखा जाता है। यह पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करता है और संतुलन में सुधार करता है।
अधोमुख श्वानासन: इस आसन में चारों पैरों और हाथों के बल पर कुत्ते की तरह खड़ा हुआ जाता है। यह पूरे शरीर को मजबूत करता है और रक्त संचार में सुधार करता है।
पर्वतासन: इस आसन में सीधे खड़े होकर हाथों को ऊपर उठाया जाता है। यह रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और छाती को खोलता है।
अष्टांग नमस्कार: इस आसन में आठ अंगों (घुटने, छाती, माथा, हाथ, पंजे) को जमीन पर छूते हुए दंडासन की मुद्रा में आते हैं। यह पूरे शरीर को मजबूत करता है और लचीलापन बढ़ाता है।
भुजंगासन: इस आसन में पेट के बल लेटकर सांस छोड़ते हुए छाती को ऊपर उठाया जाता है। यह पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है और पाचन क्रिया में सुधार करता है।
पर्वतासन: यह आसन अष्टांग नमस्कार के समान ही है।
अश्व संचालनासन: यह आसन दूसरी तरफ किया जाता है।
ताड़ासन: इस आसन में सीधे खड़े होकर हाथों को शरीर के बगल में रखा जाता है। यह संतुलन में सुधार करता है और शरीर की मुद्रा को दुरुस्त करता है।
हस्तपादासन: यह आसन सूर्य नमस्कार की शुरुआत का आसन है।
सूर्य नमस्कार के फायदे
सूर्य नमस्कार के हर आसन को करने से शरीर के विभिन्न अंगों को लाभ मिलता है। ये आसन मिलकर कमर, पीठ और पैरों को मजबूत बनाते हैं, पाचन क्रिया को दुरुस्त रखते हैं, रक्त संचार को बढ़ाते हैं, और मन को शांत करते हैं। नियमित अभ्यास से आप कुछ ही हफ्तों में फर्क महसूस करेंगी। आप अधिक लचीली, चुस्त और तनावमुक्त रहेंगी। साथ ही, रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी, त्वचा में निखार आएगा, और ऊर्जा का स्तर भी बढ़ेगा।
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