Journaling Therapy : क्या है जर्नलिंग थेरेपी, मेंटल हेल्थ बेहतर करने के लिए अपनाइए ये क्रिएटिव राइटिंग थेरेपी, जानिए महत्व और लाभ

शोध के मुताबिक जर्नलिंग थेरेपी के बहुत सारे मानसिक और शारीरिक लाभ हैं। यह चिंता, अवसाद और तनाव को कम करने में सहायक है। इसके अलावा यह आत्म-जागरूकता को बढ़ाता है और भावनात्मक संबल देता है। इसे एक आसान, सस्ती और सुरक्षित थेरेपी माना जाता है, जिसे बिना किसी विशेषज्ञ की मदद के भी किया जा सकता है। इसमें आप लेखन के जरिए अपनी कई चिंताओं, तनाव और अन्य इमोशन्स को एड्रेस कर सकते हैं।

Concept of Journaling Therapy

Journaling Therapy : अगर आप उदास है, मन उचाट है या किसी तरह का तनाव है तो अक्सर ऐसी स्थिति में अपना मनपसंद काम करने की सलाह मिलती है। आपकी हॉबी और शौक कई बार ऐसी स्थिति से उबारने में सहायक होते हैं। अब हॉबी तो सबकी अलग अलग होती है। किसी को संगीत सुकून देता है तो किसी को गार्डनिंग करके संतुष्टि मिलती है। फिल्में, घूमना, पेंटिंग करना, दोस्तों से बातें करना जैसी तमाम चीज़ें हो सकती हैं जो आपको बेहतर महसूस कराएं। और इसी कड़ी में एक जरूरी चीज़ है लिखना।

अक्सर आपने सुना होगा कि अपने मन की बात लिख देने से बहुत राहत महसूस होती है। आज हम इसी बारे में बात करने जा रहे हैं जो है जर्नलिंग थेरेपी, जिसे लेखन चिकित्सा भी कहा जाता है। ये एक ऐसी प्रभावी तकनीक है जिसके माध्यम से आप अपने विचारों और भावनाओं को लिखकर अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। इस चिकित्सा पद्धति में बिना किसी जटिल जांच प्रक्रिया के, व्यक्ति स्वयं अपनी भावनाओं का विश्लेषण कर सकता है। आसान भाषा में कहें तो आप अपने मन में जो कुछ भी है उसे किसी डायरी या कॉपी में लिख दीजिए, जिससे आपके भीतर की दबी हुई बातें रिलीज़ हो जाएंगी और आप मुक्ति का अनुभव करेंगे।

क्या है Journaling Therapy

जर्नलिंग थेरेपी एक ऐसी पद्धति है जिसमें व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों को लिखकर व्यक्त करता है। इन दिनों ये थेरेपी काफी लोकप्रिय हो रही है और इसे मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन टूल माना जा रहा हैं। जर्नलिंग थेरेपी व्यक्ति को स्वयं से जुड़ने, आत्म-विश्लेषण करने और भावनात्मक तनाव को दूर करने में मदद करती है। इसे “राइटिंग थेरेपी” के नाम से भी जाना जाता है। इसे पेशेवर थैरेपिस्ट द्वारा भी निर्देशित किया जा सकता है या व्यक्ति अपने स्तर पर भी इसे आजमा सकता है।

जर्नलिंग थेरेपी में व्यक्ति अपनी भावनाओं को कलम के माध्यम से अभिव्यक्त करता है। यह मनोविज्ञान के उन सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें माना गया है कि अपने विचारों को लिखना मानसिक प्रक्रिया को स्पष्ट करता है और उन भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करने में मददगार साबित होता है, जो गहराई में दबी होती हैं। जब हम अपने विचारों को कागज पर उतारते हैं तो न सिर्फ हमें वो स्थिति का बेहतर समझ आती है बल्कि यह भी पता चलता है कि किन कारणों से हम चिंता, तनाव या खुशी का अनुभव कर रहे हैं।

जर्नलिंग थेरेपी की लेखन तकनीक

1. फ्री-राइटिंग: बिना किसी रुकावट या फ़िल्टर के जो भी विचार मन में आते हैं उन्हें लिखना।
2. प्रॉम्प्ट-आधारित राइटिंग: कुछ खास सवालों या प्रॉम्प्ट के आधार पर लिखना ताकि गहन विचारों तक पहुँच सकें।
3. ग्रैटिट्यूड जर्नलिंग: जिन बातों के लिए आप आभारी हैं उन्हें लिखना।
4. ड्रीम जर्नलिंग: अपने सपनों को लिखना और उन पर विचार करना।

जर्नलिंग थेरेपी के प्रकार

1. स्ट्रक्चर्ड जर्नलिंग : इसमें थैरेपिस्ट द्वारा दिए गए कुछ सवालों के जवाब लिखे जाते हैं। जैसे कि “आज का सबसे खुशी का पल कौन सा था?” या “आज किस बात से आप सबसे ज्यादा तनाव में आए?”
2. अनस्ट्रक्चर्ड जर्नलिंग : इसमें व्यक्ति स्वतंत्र रूप से अपने मन की बातें लिखता है। यह ज्यादा सहज और व्यक्तिगत होता है।
3. थीम बेस्ड जर्नलिंग : इसमें विशेष विषयों पर जर्नलिंग की जाती है, जैसे कि खुद को माफ करना, किसी पुराने रिश्ते को भूलना, जीवन में कृतज्ञता महसूस करना आदि

जर्नलिंग थेरेपी का महत्व

1. भावनाओं को समझना और प्रबंधन करना : जर्नलिंग के माध्यम से व्यक्ति अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझ सकता है। अक्सर लोग यह समझ नहीं पाते कि वे क्यों उदास, नाराज़ या खुश हैं। जर्नलिंग से इन भावनाओं की जड़ तक पहुँचना संभव हो पाता है और उन्हें सकारात्मक तरीके से संभालने में भी मदद मिलती है।
2. तनाव और चिंता से राहत : जब व्यक्ति तनावपूर्ण विचारों को कागज पर लिखता है, तो वे उस तनाव से एक तरह का ‘रिलीज़’ अनुभव करते हैं। जर्नलिंग से मानसिक दबाव कम होता है और यह आपको अधिक शांत और स्थिर महसूस कराने में मदद करता है।
3. स्वयं से जुड़े रहना और आत्म-विश्लेषण करना : जर्नलिंग करने से व्यक्ति अपने अंदर की भावनाओं और विचारों के प्रति जागरूक होता है। यह आत्म-विश्लेषण की एक प्रक्रिया है, जो जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता बढ़ाती है और आत्मसम्मान को मजबूत करती है।
4. लक्ष्यों को स्पष्ट करना और प्राथमिकताएँ तय करना : जर्नलिंग से व्यक्ति अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से देख सकता है और उन्हें प्राप्त करने के लिए योजना बना सकता है। यह स्पष्टता से व्यक्ति अपने जीवन की प्राथमिकताओं को समझने और सही दिशा में काम करने में सक्षम हो सकता है।
5. सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना : नियमित रूप से जर्नलिंग करने से व्यक्ति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रख सकता है। खासकर ग्रैटिट्यूड जर्नलिंग से जीवन में सकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित करने की आदत बनती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
6. रचनात्मकता को बढ़ावा:  जर्नलिंग का मतलब केवल लिखना नहीं है, बल्कि यह विचारों को नए ढंग से व्यक्त करने का माध्यम भी है। इससे व्यक्ति की रचनात्मकता को नई दिशा मिलती है, जो जीवन में नई ऊर्जा भर सकती है।

जर्नलिंग थेरेपी को अपनाने के तरीके

* रोजाना लिखने का समय निर्धारित करें : इसे आदत बनाने के लिए दिन का एक निर्धारित समय चुनें, जैसे सुबह उठने के बाद या सोने से पहले। इससे नियमितता आती है और मानसिक प्रक्रिया में स्थिरता बनी रहती है।
* स्पष्ट लक्ष्य न रखें : जर्नलिंग थेरेपी में यह महत्वपूर्ण है कि लिखते समय किसी खास उद्देश्य की चिंता न करें। यह न सोचें कि आपको किसी विशेष समाधान पर पहुँचने की आवश्यकता है। जर्नलिंग का उद्देश्य बस अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करना है।
* इमोशन-फोकस्ड राइटिंग : यह तकनीक उन भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करती है जो व्यक्ति अनुभव कर रहा है। जैसे, यदि आप उदासी महसूस कर रहे हैं, तो उसके बारे में विस्तार से लिखें कि यह क्यों हो रहा है, इसे दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है।

जर्नलिंग थेरेपी के लाभ

1. तनाव और चिंता को कम करना : जब हम अपने मन की बातों को कागज पर उतारते हैं तो यह मानसिक दबाव को कम करने में सहायक होता है। नकारात्मक विचारों और भावनाओं को बाहर निकालने से मन को शांति मिलती है और तनाव कम होता है।
2. भावनात्मक जागरूकता बढ़ाना : जर्नलिंग थेरेपी से व्यक्ति अपनी भावनाओं को समझ सकता है और उनके कारणों को जान सकता है। इससे भावनात्मक जागरूकता बढ़ती है और व्यक्ति अपने अंदर की भावनाओं से बेहतर तरीके से जुड़ सकता है।
3. आत्म-विश्लेषण और आत्म-जागरूकता में सुधार : जब हम अपनी सोच और भावनाओं को लिखते हैं तो आत्म-विश्लेषण की प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से शुरू होती है। इससे आत्म-जागरूकता बढ़ती है और हम अपने विचारों, प्रतिक्रियाओं और प्राथमिकताओं को समझ सकते हैं।
4. सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा : नियमित रूप से लिखने से व्यक्ति अपनी जिंदगी के सकारात्मक पहलुओं को देखना और उन पर ध्यान केंद्रित करना सीखता है। ग्रैटिट्यूड जर्नलिंग (कृतज्ञता लेखन) के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में आभारी होने के कारणों को समझ सकता है, जिससे सकारात्मकता बढ़ती है।
5. मानसिक स्वास्थ्य में सुधार : शोध बताते हैं कि जर्नलिंग थेरेपी अवसाद और चिंता जैसी मानसिक समस्याओं को कम करने में सहायक हो सकती है। भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करने से व्यक्ति को अपने दुख और समस्याओं को समझने का मौका मिलता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
6. लक्ष्यों को स्पष्ट करना और योजना बनाना : जब व्यक्ति अपने लक्ष्यों, इच्छाओं और सपनों को लिखता है, तो उन्हें प्राप्त करने के लिए अधिक स्पष्टता मिलती है। यह थेरेपी व्यक्ति को अपने जीवन की प्राथमिकताओं को पहचानने और सही दिशा में कदम बढ़ाने में मदद करती है।
7. रचनात्मकता में वृद्धि : जर्नलिंग एक रचनात्मक प्रक्रिया है जो व्यक्ति की कल्पनाशक्ति और विचारों को नए ढंग से प्रस्तुत करने का माध्यम बनती है। इससे रचनात्मकता को बढ़ावा मिलता है और व्यक्ति नई चीजों को सोचने-समझने में सक्षम होता है।
8. आत्म-सम्मान को बढ़ाना : आत्म-विश्लेषण के माध्यम से व्यक्ति अपनी उपलब्धियों, क्षमताओं और कमजोरियों को बेहतर ढंग से समझ सकता है। इससे आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है, जो सकारात्मक मानसिकता बनाए रखने में सहायक होता है।
9. अतीत से उबरने में सहायक: जर्नलिंग थेरेपी हमें अपने अतीत की घटनाओं और भावनाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक हो सकती है। जब हम अपनी पुरानी यादों और अनुभवों को लिखते हैं, तो उन पर विचार करना और उन्हें छोड़ पाना आसान हो जाता है।
10. शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव : शोध बताते हैं कि जर्नलिंग थेरेपी से न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार हो सकता है। कम तनाव और बेहतर भावनात्मक स्वास्थ्य से हृदय स्वास्थ्य, इम्यून सिस्टम और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।

(डिस्क्लेमर : ये लेख सामान्य जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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