आपने जो कोविड वैक्सीन लगवाई है क्या उसी का लगेगा बूस्टर डोज, जानिए बूस्टर डोज से जुड़े अहम सवाल

Amit Sengar
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जीवनशैली, डेस्क रिपोर्ट। दूसरी लहर में कहर बरपाने के बाद कोरोना ने एकदम नए वेरिएंट के साथ वापसी की है, कोरोना का डर अभी पूरी तरह खत्म हुआ नहीं था। टीकाकरण पूरा नहीं हो सका था, कि कोरोना ओमिक्रॉन के नाम से नए कलेवर में लौट आया है, जिसके बाद अब दो टीकों के बाद बूस्टर डोज लेने की बातें होने लगी हैं। बूस्टर डोज उपलब्ध कराने की तैयारियां भी तेज हैं। जिसके बाद इस डोज से जुड़े तमाम सवाल हैं जिनका जवाब लोग जानने चाहते हैं, यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे ही चंद सवालों के जवाब जिन्हें लगातार सर्च किया जा रहा है।

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क्या होता है बूस्टर डोज?

बूस्टर डोज वो टीका है, जो इस महामारी के खिलाफ आपके शरीर की प्रतिरक्षा करने की क्षमता को और बढ़ाएगा। साथ ही ये डोज उन्हीं लोगों को दिया जाएगा जो पहले ही वैक्सीन के दोनों डोज लगवा चुके होंगे। दो खुराक लेने के बाद भी शरीर की प्रतिरक्षा छह माह के अंदर घटना शुरू हो जाती है। तीसरा डोज या बूस्टर डोज लगा होने पर इम्यूनिटी बढ़ती है। जिसके चलते भले ही आप संक्रमित हो जाएं लेकिन गंभीर हालत होने की संभावना नहीं रहती है।

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क्या कहता है शोध?

शोध के मुताबिक बूस्टर डोज की सबसे ज्यादा जरूरत उन्हें जिनकी इम्यूनिटी दो डोज के बाद भी कम है। यही वजह है, कि बुजुर्गों को जल्द से जल्द बूस्टर डोज देने की कोशिशें जारी हैं। क्योंकि, दो खुराक के बाद भी उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होना शुरू हो चुकी है, या ऐसी बीमारी से पीड़ित लोग जिनकी इम्यूनिटी पहले से ही कम हो या जिन्होंने कोई ट्रांसप्लांट करवाया हो।

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किन देशों में बूस्टर डोज की अनुमति?

इजरायल ने बूस्टर डोज के लिए अपनी मुहिम में तेजी लानी शुरू कर दी है। अमेरिका और यूरोप इस मामले में तेजी से काम कर रहे हैं। ओमिक्रॉन और डेल्टा के मामले और ज्यादा बढ़ें उससे पहले ये देश बूस्टर डोज ज्यादा से ज्यादा लोगों को दे देना चाहते हैं। अब भारत में भी इस दिशा में तेजी आ रही है।

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किस वैक्सीन का लगेगा बूस्टर डोज?

बूस्टर डोज से जुड़ा ये सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर किस वैक्सीन का बूस्टर डोज लगेगा। कुछ देश इस मामले में मिक्स एंड मैच डोज दे रहे हैं। यानि अलग अलग तरह के कोविड वैक्सीन को मिलाकर एक बूस्टर डोज तैयार किया जा रहा है। रूस अपनी सिंगल डोज वैक्सीन स्पूतनिक को बूस्टर डोज के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। कुछ अन्य वैक्सीन पर ये शोध जारी है, कि दो डोज के बाद उनका बूस्टर डोज कितना असरदार है। इससे अभी ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो वैक्सीन लगी है जरूरी नहीं कि बूस्टर डोज उसी टीके का लगे।

WHO की राय

डब्ल्यूएचओ फिलहाल हर देश में बूस्टर डोज के पक्ष में नहीं है। उसकी राय है, कि पहले गरीब देशों को वैक्सीन मिल जाए उसके बाद बूस्टर डोज की बात होनी चाहिए। डब्ल्यूएचओ का मानना है कि सभी को टीका नहीं लगा तो महामारी ज्यादा तेजी से फैल सकती है। जिसके बाद इसके और म्यूटेशन भी सामने आ सकते हैं। हालांकि ऑर्गेनाइजेशन का ये भी मानना है कि जिन लोगों की इम्यूनिटी कम है या घट रही है उन्हें बूस्टर डोज मिलना चाहिए।

डिस्क्लेमर : दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न स्रोतों से प्राप्त की गई है, MPBreakingnews इसकी पुष्टि नहीं करता है। स्वास्थ संबंधी कोई भी जानकारी चिकित्सक से लेने के बाद ही निर्णय लें।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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