Labour Day 2024: 1 मई को हर साल मजदूर दिवस या इंटरनेशनल लेबर डे मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1889 में हुई थी, जब पेरिस में दुनिया भर के समाजवादी और श्रमिक संगठनों ने मिलकर मजदूरों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने का फैसला किया था। उस समय, काम के घंटे निर्धारित नहीं थे, जिसके कारण 1884 में अमेरिका और कनाडा में ट्रेड यूनियनों ने 1 मई 1886 से 8 घंटे का कार्यदिवस लागू करने की मांग की। इस मांग के समर्थन में लाखों मजदूर हड़ताल पर चले गए। शिकागो इस हड़ताल का केंद्र था, जहां दो दिनों तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद तीसरे दिन हिंसा भड़क उठी। मैकॉर्मिक हार्वेस्टिंग मशीन कंपनी के बाहर हुई हिंसा में दो मजदूरों की पुलिस की गोलीबारी में मौत हो गई। अगले दिन फिर से हिंसा हुई, जिसमें कई लोग मारे गए।
क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?
यह दिन उन लोगों के योगदान को याद करने और सम्मानित करने का अवसर है जो हमारे समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह दिन श्रमिकों के अधिकारों, जैसे कि सुरक्षित काम करने की स्थिति, उचित मजदूरी, काम के घंटे और सामाजिक सुरक्षा, के महत्व पर प्रकाश डालता है। मजदूर दिवस सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के लिए एकजुट होने का आह्वान करता है। यह दिन दुनिया भर के श्रमिकों को एकजुट करने और एक मजबूत आवाज बनाने का अवसर है।
साल 2024 की थीम क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस, जिसे मई दिवस या कामगार दिवस के नाम से भी जाना जाता है, हर साल 1 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है। यह दिन श्रमिकों के योगदान को सम्मानित करने और उनके अधिकारों के लिए लड़ने का अवसर है। साल 2024 की अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की थीम है “जलवायु परिवर्तन के बीच कार्यस्थल सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना”। यह थीम जलवायु परिवर्तन के कारण कामगारों पर पड़ने वाले खतरों और इन खतरों से निपटने के लिए आवश्यक उपायों पर प्रकाश डालती है।
मजदूर दिवस का इतिहास
1 मई 1886 को, संयुक्त राज्य अमेरिका में हजारों श्रमिकों ने 8 घंटे के कार्यदिवस की मांग के लिए हड़ताल की। शिकागो का हयमार्केट हत्याकांड: 3 मई 1886 को, शिकागो में एक हड़ताली भीड़ पर पुलिस ने गोलियां बरसाईं, जिसमें कई लोग मारे गए। इन घटनाओं के बाद, 1889 में, अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (दूसरा इंटरनेशनल) ने 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। अगर बात की जाए भारत की तो भारत में पहला मजदूर दिवस 1 मई 1921 को मद्रास (अब चेन्नई) में मनाया गया था। 20वीं शताब्दी के दौरान, भारत में मजदूर आंदोलन तेजी से बढ़ा। 1928 में, भारत में पहली बार न्यूनतम मजदूरी कानून पारित किया गया था। 1948 में, भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई कानून बनाए गए
मजदूर दिवस का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस हर साल 1 मई को मनाया जाता है। इसे मनाने के कई उद्देश्य हैं, जिनमें शामिल हैं, यह दिन दुनिया भर के श्रमिकों द्वारा अर्थव्यवस्था और समाज में किए गए महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकार करने का अवसर है। यह दिन श्रमिकों के अधिकारों, जैसे कि सुरक्षित काम करने की स्थिति, उचित मजदूरी और काम के घंटे, के लिए लड़ने का अवसर है। यह दिन दुनिया भर के श्रमिकों को एकजुट करने और एक मजबूत आवाज बनाने का अवसर है। यह दिन श्रमिकों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों, जैसे कि गरीबी, भेदभाव और शोषण, पर प्रकाश डालने का अवसर है। यह दिन सभी श्रमिकों के लिए बेहतर भविष्य के लिए आह्वान करने का अवसर है।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)