साहित्यिकी : आइये पढ़ते हैं महादेवी वर्मा की कहानी ‘दो फूल’

‘आज शनिवार है और साहित्यिकी अंतर्गत हम पढ़ेंगे महादेवी वर्मा की कहानी। उनका जन्म 26 मार्च 1907 को फर्रुखाबाद में हुआ था। छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में महादेवी वर्मा का न सम्मिलित है। आधुनिक हिंदी कविता में वे एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। कविताओं के साथ उन्होने निबंध, कहानी और रेखाचित्र भी लिखे हैं। आजहम पढ़ते हैं उनकी कहानी दो फूल।’

                                          दो फूल

फागुन की गुलाबी जाड़े की वह सुनहली संध्या क्या भुलाई जा सकती है ! सवेरे के पुलकपखी वैतालिक एक लयवती उड़ान में अपने-अपने नीड़ों की ओर लौट रहे थे। विरल बादलों के अन्ताल से उन पर चलाए हुए सूर्य के सोने के शब्दवेधी बाण उनकी उन्माद गति में ही उलझ कर लक्ष्य-भ्रष्ट हो रहे थे।
पश्चिम में रंगों का उत्सव देखते-देखते जैसे ही मुँह फेरा कि नौकर सामने आ खड़ा हुआ। पता चला, अपना नाम न बताने वाले एक वृद्ध सज्जन मुझसे मिलने की प्रतीक्षा में बहुत देर से बाहर खड़े हैं। उनसे सवेरे आने के लिए कहना अरण्य-रोदन ही हो गया।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।