Mirror Neurons: किसी को रोते देख आपकी आंखें क्यों भर आती हैं, जानिए मिरर न्यूरॉन्स का रहस्य

मिरर न्यूरॉन्स का प्रभाव हमारे रोजमर्रा के जीवन में हर जगह दिखता है। जब आप क्रिकेट मैच में किसी खिलाड़ी का शानदार शॉट देखकर ताली बजाते हैं, तो आपके मिरर न्यूरॉन्स उस उत्साह को महसूस कर रहे हैं। स्कूल में जब टीचर उत्साह से पढ़ाते हैं तो छात्रों के मिरर न्यूरॉन्स उस ऊर्जा को ग्रहण करते हैं, जिससे सीखना आसान बन जाता है। वहीं, ब्रांड्स भावनात्मक विज्ञापनों का उपयोग करते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि मिरर न्यूरॉन्स दर्शकों को जोड़ेंगे।

Mirror Neurons and Empathy: क्या कभी किसी को रोते हुए देखकर अपनी आँखें नम होती हैं? या किसी की हँसी सुनकर बिना कारण चेहरे पर मुस्कान जाए? अगर ऐसा होता है तो दरअसल ये आपके मस्तिष्क में मौजूद मिरर न्यूरॉन्स का कमाल है। ये छोटे-छोटे न्यूरॉन्स हमारे दिमाग का वो हिस्सा हैं जो हमें दूसरों की भावनाओं को न सिर्फ समझने में..बल्कि वैसा ही महसूस करने का सामर्थ्य भी देते हैं।

तो क्या यही इम्पैथी है ? इम्पैथी (Empathy) और मिरर न्यूरॉन्स (Mirror Neurons) में गहरा संबंध है, लेकिन दोनों बिल्कुल एक ही चीज़ नहीं हैं। जब आप किसी को दर्द में देखते हैं और खुद को असहज महसूस करते हैं तो यह संभव है कि आपके मिरर न्यूरॉन्स सक्रिय हो रहे हों, जिससे आप उस भावना को अनुभव कर रहे हैं। यह अनुभव जब गहराई से भावनात्मक प्रतिक्रिया में बदलता है, तो वह इम्पैथी बन जाता है।

मिरर न्यूरॉन्स क्या हैं

1990 के दशक मे इटली के न्यूरोसाइंटिस्ट जियाकोमो रिज़ोलाटी और उनकी टीम ने एक आश्चर्यजनक खोज की। उन्होंने मकैक बंदरों के मस्तिष्क का अध्ययन करते हुए पाया कि कुछ न्यूरॉन्स तब सक्रिय होते हैं जब बंदर कोई काम करता है। जैसे अगर एक बंदर फल उठाता है तो दूसरे के भी वही न्यूरॉन्स सक्रिय होते हैं जब वह दूसरों को वही काम करते देखता है। इन न्यूरॉन्स को “मिरर न्यूरॉन्स” नाम दिया गया, क्योंकि ये दूसरों के व्यवहार को दर्पण की तरह प्रतिबिंबित करते हैं।

मनुष्यों में भी ये न्यूरॉन्स मौजूद हैं..खासकर मस्तिष्क के प्रीमोटर कॉर्टेक्स और इन्फीरियर पैराइटल लोब में। ये न सिर्फ हमारे कार्यों को कॉपी करते हैं..बल्कि भावनाओं और इरादों को समझने में भी मदद करते हैं। यही कारण है कि हम किसी के दर्द को देखकर सहानुभूति महसूस करते हैं या किसी की खुशी में शामिल हो जाते हैं।

सहानुभूति का वैज्ञानिक आधार

मिरर न्यूरॉन्स को अक्सर सहानुभूति का जैविक आधार भी कहा जाता है। जब आप किसी को गले लगाते हुए देखते हैं तो आपके दिमाग में वही न्यूरॉन्स सक्रिय होते हैं जो उस गर्मजोशी को महसूस करने के लिए जिम्मेदार हैं। न्यूरोसाइंटिस्ट विलायनूर रामचंद्रन जो मिरर न्यूरॉन्स के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध हैं, कहते हैं कि “मिरर न्यूरॉन्स हमें दूसरों के दिमाग में ‘झाँकने’ की अनुमति देते हैं। ये हमें सही अर्थ में इंसान बनाते हैं।”

उदाहरण के लिए, जब आप किसी फिल्म में नायक के संघर्ष को देखते हैं, तो आपके मिरर न्यूरॉन्स आपको उसकी भावनाओं से जोड़ते हैं। यही कारण है कि हम फिल्में देखते समय रोते, हँसते या डरते हैं। यह सिर्फ कहानी नहीं है बल्कि हमारा मस्तिष्क है जो उस अनुभव को “जी रहा” है।

सामाजिक जीवन में मिरर न्यूरॉन्स की भूमिका

मिरर न्यूरॉन्स न सिर्फ दूसरों की भावनाओं को समझने में मदद करते हैं..बल्कि ये सामाजिक बंधनों को मजबूत करने में भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। ये हमें दूसरों के व्यवहार की कॉपी करने में सक्षम बनाते हैं जो सीखने और संस्कृति के विकास का आधार है। बच्चे अपने माता-पिता की नकल करके बोलना, चलना और सामाजिक नियम सीखते हैं। यह सब मिरर न्यूरॉन्स के कारण संभव होता है।

हाल के एक अध्ययन में, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों में मिरर न्यूरॉन्स की गतिविधि अधिक होती है, वे सामाजिक रूप से अधिक संवेदनशील और सहयोगी होते हैं। दूसरी ओर, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) से ग्रस्त कुछ व्यक्तियों में मिरर न्यूरॉन्स की गतिविधि कम हो सकती है, जिससे उन्हें दूसरों की भावनाओं को समझने में कठिनाई होती है। हालांकि, अभी इस क्षेत्र में और शोध की आवश्यकता है। वैज्ञानिक अब यह खोज रहे हैं कि क्या मिरर न्यूरॉन्स को प्रशिक्षित करके हम अपनी सहानुभूति और सामाजिक कौशल को बढ़ा सकते हैं।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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