Parenting Tips: क्या आपका बच्चा भी रो-रोकर मनवा लेता है सारी बातें, बिगड़ सकती है आदत, नखरे झेलने की बजाय अपनाएं ये टिप्स

Parenting Tips: जब भी बच्चों को लगता है की माता-पिता उनकी बातें नहीं सुनेंगे तो बच्चे रो-रोकर अपना बुरा हाल कर लेते हैं जिस वजह से ना चाहते हुए भी माता-पिता को अपने बच्चों की बातें मानना पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चों की यह आदतें भविष्य में उनके लिए खतरा साबित हो सकती है।

Bhawna Choubey
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Parenting Tips: हर माता-पिता के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है अपने बच्चों की अच्छे से परवरिश करना। जब बच्चे छोटे होते हैं तो माता-पिता को उनका हर पाल ख्याल रखना पड़ता है। उनके खाने से लेकर सोने तक का ख्याल माता-पिता को अच्छी तरह से रखना होता है। जब बच्चे बहुत ज्यादा ही छोटे होते हैं यानी जब वह एक शिशु होते हैं तो सांस रोक कर रोना और सुस्त हो जाना बहुत आम बात होती है। लेकिन कई बार बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं वैसे-वैसे उनके नखरे और जिद्दीपन बढ़ जाता है। 4 साल की उम्र से छोटे बच्चों का लगातार रोना बातों को ना समझना आप बात है। अक्सर बच्चे हर छोटी-छोटी बातों में नखरे करते हैं। अक्सर जब बच्चों के मन मुताबिक काम नहीं होता है या उन्हें उनकी पसंद की चीज नहीं दिलवाई जाती है तो बच्चे गुस्सा हो जाते हैं और अपनी बात मनवाने के लिए रोते हैं जिसे टैंपर या टैंट्रम कहा जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि अगर बच्चा 15 मिनट से ज्यादा समय तक नखरे करता है तो फिर यह मामूली नहीं बल्कि चिंता का विषय बन जाता है।

टैंपर टैंट्रम क्या होता है

टैंपर टैंट्रम एक भावनात्मक विस्फोट है जो अक्सर छोटे बच्चों में देखा जाता है। यह तब होता है जब बच्चे अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं और गुस्सा, निराशा, या उदासी महसूस करते हैं। टैंपर टैंट्रम के दौरान, बच्चे रो सकते हैं, चिल्ला सकते हैं, चीजों को फेंक सकते हैं, या खुद को चोट पहुंचा सकते हैं।

बच्चे के टैंट्रम को कैसे करें कंट्रोल

1. शांत रहें

बच्चे के गुस्से का सामना करते हुए खुद को शांत रखना सबसे महत्वपूर्ण है। यदि आप भी गुस्सा करेंगे, तो बच्चे का टैंट्रम और भी बढ़ सकता है। गहरी सांस लें और धैर्य रखें।

2. बच्चे की बात समझें

बच्चे के गुस्से के पीछे की वजह समझने की कोशिश करें। हो सकता है कि वह थका हुआ हो, भूखा हो, या किसी चीज से परेशान हो। बच्चे की भावनाओं को स्वीकार करें और उन्हें समझने का प्रयास करें।

3. ध्यान हटाएं

यदि बच्चे का टैंट्रम बढ़ रहा है, तो उसका ध्यान किसी और चीज पर लगाने की कोशिश करें। उसे कोई खिलौना दें, गाना गाएं, या उसे बाहर घुमाने ले जाएं।

4. नियमों पर टिके रहें

यदि आपने बच्चे के लिए कोई नियम बनाया है, तो उस पर टिके रहें। यदि आप टैंट्रम के बाद बच्चे की बात मान लेते हैं, तो वह सीख जाएगा कि टैंट्रम करके वह अपनी बात मनवा सकता है।

5. बच्चे को सिखाएं

बच्चे को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के स्वस्थ तरीके सिखाएं। उसे बताएं कि रोना और गुस्सा करना ठीक है, लेकिन चीजों को तोड़ना या दूसरों को चोट पहुंचाना नहीं है।

6. टैंट्रम को अनदेखा करें

यदि बच्चे का टैंट्रम मामूली है, तो उसे अनदेखा करें। बच्चे को ध्यान न देने पर वह जल्द ही शांत हो जाएगा।

7. बच्चे की सराहना करें

जब बच्चा अपनी भावनाओं को शांत तरीके से व्यक्त करता है, तो उसकी सराहना करें। उसे बताएं कि आप उसके व्यवहार से खुश हैं।

हर माता-पिता को रखना चाहिए इन बातों का ध्यान

1. बच्चे को मारना या डराना न कभी भी उचित नहीं है।
2. बच्चे के साथ धैर्य रखें और उसे प्यार और स्नेह दें।
3. यदि आपको लगता है कि बच्चे का टैंट्रम किसी गहरे मनोवैज्ञानिक समस्या का कारण है, तो डॉक्टर से सलाह लें।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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