कई माता-पिता अपने इकलौते बेटे पर अपनी सारी आशाएँ टिका देते हैं, जिससे उन पर अत्यधिक दबाव होता है। वे चाहते हैं कि उनका बेटा हर क्षेत्र में सफल हो, चाहे वह उसकी रुचि हो या न हो।
2. अत्यधिक लाड़ प्यार
जब बच्चों को उनकी हर इच्छा तुरंत मिल जाती है, तो वे जिद्द करने और अपनी बात मनवाने के लिए अड़ियलपन दिखाने लगते हैं। लाड़-प्यार वाले बच्चे अक्सर दूसरों के साथ सहयोग करने में कठिनाई महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें कभी भी “न” सुनने की आदत नहीं होती है। जब बच्चों को लगता है कि दुनिया उनके इर्द-गिर्द घूमती है, तो वे आत्म-केंद्रित और दूसरों की भावनाओं के प्रति असंवेदनशील बन सकते हैं।
3. तुलना
माता-पिता अक्सर अपने बेटे की तुलना दूसरे बच्चों से करते हैं, जो उसे निराश और हीनभावनाग्रस्त महसूस करा सकता है। जब बच्चों की तुलना दूसरों से की जाती है, तो वे हीन और अयोग्य महसूस कर सकते हैं। इससे उनका आत्मविश्वास कम हो सकता है और वे अपनी क्षमताओं पर संदेह करने लग सकते हैं। तुलना के कारण बच्चों में चिंता और अवसाद हो सकता है। वे उन बच्चों से ईर्ष्या और द्वेष महसूस कर सकते हैं जिनसे उनकी तुलना की जा रही है।
4. ज़्यादा सुरक्षा
कुछ माता-पिता अपने बेटे को ज़्यादा सुरक्षा देते हैं, जिससे वह आत्मनिर्भर बनने में देरी कर सकता है। उन्हें लग सकता है कि उन्हें हर चीज में मदद की ज़रूरत है और वे अपने दम पर काम करने में असमर्थ हैं। उन्हें अपनी ज़िंदगी के बारे में फैसले लेने में कठिनाई हो सकती है क्योंकि उन्हें हमेशा अपने माता-पिता से सलाह लेने की आदत होती है। वे जोखिम लेने से डर सकते हैं क्योंकि उन्हें हमेशा सुरक्षित रहने के लिए कहा जाता है। उन्हें दूसरों के साथ स्वस्थ संबंध बनाने में कठिनाई हो सकती है क्योंकि उन्हें हमेशा अपने माता-पिता पर निर्भर रहने की आदत होती है। वे असुरक्षित और कम आत्मसम्मान महसूस कर सकते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे अपने दम पर सफल नहीं हो सकते।
5. अकेलापन
इकलौते बच्चे अक्सर अकेलापन महसूस करते हैं। उनके पास खेलने और बात करने के लिए भाई-बहन नहीं होते हैं। जब माता-पिता काम पर होते हैं या व्यस्त होते हैं, तो बच्चे अकेलेपन और अलगाव महसूस कर सकते हैं। इकलौते बच्चों को सामाजिक कौशल विकसित करने में कठिनाई हो सकती है क्योंकि उनके पास दोस्तों के साथ बातचीत करने के लिए उतने अवसर नहीं होते हैं। अकेलेपन के कारण, इकलौते बच्चे असुरक्षित और कम आत्मसम्मान महसूस कर सकते हैं।
6. अनुशासन की कमी
कुछ माता-पिता अपने इकलौते बेटे को अनुशासनहीन होने देते हैं, जिससे वह जिद्दी और स्वार्थी बन सकता है। जब बच्चों को अनुशासन नहीं दिया जाता है, तो वे जिद्द करने और अपनी बात मनवाने के लिए अड़ियलपन दिखाने लगते हैं। वे दूसरों के बारे में सोचना नहीं सीखते हैं और केवल अपनी इच्छाओं की परवाह करते हैं। वे नियमों का पालन नहीं करते हैं और दूसरों का सम्मान नहीं करते हैं। वे क्रोधित और हिंसक हो सकते हैं, और दूसरों को चोट पहुंचा सकते हैं। वे भविष्य में अपराधिक गतिविधियों में शामिल होने की संभावना रखते हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।