अपने बच्चों को सिखाएं सच्चे और नकली दोस्त की पहचान, ताकि जिंदगी में कभी न खाएं धोखा

बच्चों का मन बहुत मासूम और साफ होता है, वे बिना किसी भेदभाव की दोस्ती को अपना बना लेते हैं। उनमें सही गलत की समझ नहीं होती है, ऐसे में माता-पिता का कर्तव्य होता है कि वह अपने बच्चों को सही गलत का फर्क सिखाएं और यह भी बताएं की किस प्रकार के दोस्त सच्चे होते हैं और किस प्रकार के दोस्त नकली होते हैं।

Bhawna Choubey
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Parenting Tips: बच्चे बहुत मासूम होते हैं, उनका दिल और मन बहुत साफ होता है, जिस वजह से वह सही और गलत को पहचान नहीं पाते हैं। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह अपने बच्चों को सही गलत का फर्क सिखाएं। खासकर दोस्ती के मामले में, बच्चे जल्दी किसी को अपना मित्र मान लेते हैं, वह यह नहीं सोच पाते हैं कि सामने वाला व्यक्ति सच्चा है या नहीं।

दोस्ती एक बहुत ही अच्छा रिश्ता होता है। लेकिन हर दोस्ती सच्ची नहीं होती है कई बार बच्चे गलत संगति में फंस जाते हैं, जिसका असर उनके भविष्य पर पड़ता है। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वह जाने की उनके बच्चों की दोस्ती किन बच्चों के साथ है, क्या वे सच्चे हैं या नहीं है। आज हम इस आर्टिकल में बताएंगे कि आप अपने बच्चों को किस तरह बता सकते हैं की उनका दोस्त सच्चा है या नहीं।

जो सिर्फ लेना जाने, देना नहीं

दोस्ती का रिश्ता बहुत ही खास रिश्ता होता है, यह वह रिश्ता होता है जब हमें किसी से भी कुछ कहने से पहले सोचना नहीं पड़ता है, हमारे जो दिल में होता है वही हमारे जुबान पर होता है। यह रिश्ता समझ, समर्थन और ईमानदारी पर आधारित होता है।

बच्चों को यह समझना जरूरी है कि अगर उनका कोई दोस्त हमेशा उनसे ही कुछ ना कुछ लेता है लेकिन जब उन्हें जरूरत पड़ती है तो वह कुछ देता नहीं है या फिर बहाने करता है तो यह एक बड़ा संकेत है कि वह दोस्त सच्चा दोस्त नहीं है। दोस्ती में लेनदेन का सिलसिला चलता रहता है अगर आप किसी से कुछ लेते हैं, तो आपको देने का भी हक रखना चाहिए।

जो बार-बार बुरा महसूस करवाए

हम जब दोस्तों के आसपास रहते हैं तो हमारा मन हमेशा प्रसन्न रहता है, इसलिए आप अपने बच्चों को समझाएं कि अगर उनका दोस्त उन्हें बार-बार बुरा महसूस करवाता है, उनकी कमियां गिनवाया करता है या उन्हें तनाव में डाल देता है, तो यह बड़ा संकेत है कि वह दोस्त सच्चा दोस्त नहीं है।

दोस्तों के साथ रहकर अगर हमें एंजायटी महसूस हो रही है तो इसका मतलब है कि दोस्ती सच्ची नहीं है क्योंकि दोस्ती का रिश्ता तो एक ऐसा रिश्ता होता है, की जब हम दोस्तों के आसपास रहते हैं, उनके पास बैठते हैं, तो हमारे तनाव को भूलकर सिर्फ खुश रहते हैं और हंसते रहते हैं।

जो बार-बार चिढाएं

अपने बच्चों को यह समझे कि अगर उनका दोस्त उन्हें बार-बार चिढ़ाता है या फिर नीचा दिखाता है, तो वह असली दोस्त नहीं है। एक दो बार चिढ़ाना बहुत आम बात है लेकिन अगर आपका दोस्त बार-बार सभी लोगों के सामने आपको चिढ़ाते है, सभी लोगों के सामने आपका मजाक बनाते है, तो यह एक असली दोस्त की पहचान बिल्कुल भी नहीं है।

एक सच्चा दोस्त आपस में कितनी भी मजाक मस्ती क्यों न कर लें, लेकिन दूसरे लोगों के सामने अपने दोस्त की बेज्जती कभी नहीं होने देता है। यही एक असली दोस्त की पहचान है। असली दोस्त हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, दोस्ती में मजाक मस्ती करना बहुत आम बात है, लेकिन अगर वह मजाक मस्ती बेज्जती में बदल जाए, तो वह दोस्ती नहीं रहती।

जो गलत काम करने के लिए उकसाए

अपने बच्चों को हमेशा हेल्दी और पॉजिटिव दोस्ती करना सिखाएं, उन्हें समझाएं कि एक सच्चा दोस्त वह होता है जो कभी भी आपको गलत काम करने के लिए उकसाता नहीं है। अक्सर देखा जाता है कि बच्चे एक दूसरे को गलत काम करने के लिए उकसाते रहते हैं।

इसलिए हमेशा अपने बच्चों को सिखाएं की आपका दोस्त चाहे कुछ भी करें लेकिन आपको अपनी सीमाओं का ज्ञात होना चाहिए, आप कभी भी उन गलत कामों को ना करें जो आपके दोस्त कर रहे हैं, और अगर आपके दोस्त बार-बार आपको भी गलत काम करने के लिए उकसाते हैं, तो आपको उनसे दोस्ती रखने की जरूरत नहीं है, वह आपके सच्चे दोस्त नहीं है। सच्चे दोस्त अपने दोस्त के विचारों का सम्मान करते हैं।


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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