Parenting Tips: बच्चों को सबसे ज्यादा डर एग्जाम से लगता है, जैसे-जैसे एग्जाम नजदीक आते हैं, बच्चों पर मानसिक दबाव बढ़ जाता है, खासकर जब एग्जाम बोर्ड एग्जाम हो। इस दौरान बच्चों में एग्जाम का डर जिसे एग्जामोफोबिया कहा जाता है उत्पन्न हो जाता है।
ऐसे में घर का माहौल भी एकदम शांत और तनावपूर्ण हो जाता है क्योंकि एग्जाम की चिंता, जितनी बच्चों को होती है उससे कहीं ज्यादा माता-पिता को होती है। ऐसे समय में माता-पिता का सही मार्गदर्शन और सहयोग बच्चों की बहुत काम आ सकता है।
शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखें
इसलिए सभी माता पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के एग्जाम के दौरान घर में किसी भी प्रकार का शोर-शराबा, पार्टी, फंक्शन जैसा माहौल न हो।
घर में शांतिपूर्ण और प्रेरणादायक माहौल बनाए रखें, जिससे कि बच्चे मन लगाकर अपनी पढ़ाई कर सकें , और बोर्ड एग्जाम में अच्छा प्रदर्शन कर सके। चलिए इस आर्टिकल के जरिए समझते हैं की बोर्ड एग्जाम की तैयारी को लेकर माता-पिता बच्चों की किस तरह से मदद कर सकते हैं।
पढ़ाई के लिए आरामदायक माहौल तैयार करें
बच्चों का पढ़ाई के दौरान मन जल्दी उठ जाता है, इसलिए माता-पिता को पढ़ाई के लिए एक ऐसा माहौल बनाना चाहिए। सबसे पहले तो उन चीजों को बच्चों के आसपास से हटा दें, जो बच्चों को डिस्टर्ब करती हो, जैसे स्मार्टफोन, वीडियो गेम, टेबलेट आदि।
इसके अलावा बच्चों की टेबल साफ-सुथरी होनी चाहिए साथ ही साथ जिस कुर्सी पर बच्चे बैठते हैं, वह कुर्सी आरामदायक होनी चाहिए।
बच्चों पर न डालें दबाव
एग्जाम के दौरान सभी माता-पिता की यही इच्छा रहती है, कि उनका बच्चा मन लगाकर पढ़ाई करें और अच्छे से अच्छे नंबर हासिल करें, कई बार माता-पिता अपनी इस चाहत को लेकर बच्चों पर दबाव भी बनाने लगते हैं जैसे कि तुम्हें इस बार इतने मार्क्स लाना ही है चाहे कुछ हो जाए।
माता-पिता की इस चाहत की वजह से बच्चों पर हद से ज्यादा दबाव पड़ता है, जिस वजह से उनकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ता है और वह अपने आत्मविश्वास को देते हैं। इसलिए एग्जाम के दौरान माता-पिता को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
बच्चों से दोस्ती करें, उनकी चिंताओं को समझें
एग्जाम के दौरान स्कूल में पढ़ाई करने के लिए छुट्टियां लग जाती है और बच्चे भी अपना पूरा समय पढ़ाई में बिताते हैं, जिस वजह से वह अपने दोस्तों से मिल नहीं पाते हैं।
इसलिए माता-पिता को अपने बच्चों का दोस्त बनकर उनसे बातचीत करनी चाहिए, जिससे कि उनका मन हल्का हो और वह अपने मन की बातें कह सकें। इस तरह बच्चे अपनी चिंताओं और समस्याओं को माता-पिता से शेयर करेंगे और उन्हें सुकून मिलेगा।