Parenting Tips: बच्चे क्यों भागते हैं माता-पिता से दूर? 3 कारण और उनके समाधान

Parenting Tips: आज के दौर में, कई बच्चे अपने माता-पिता से दूर होते जा रहे हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारणों पर हम चर्चा करेंगे और साथ ही कुछ सुझाव भी देंगे जिनसे आप अपने बच्चों से संबंध मजबूत कर सकते हैं।

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Parenting Tips: माता-पिता बनना एक अनमोल अनुभव है, लेकिन यह ज़िम्मेदारी भी बहुत बड़ी होती है। बच्चों को पालना, उनका पोषण करना, और उन्हें जीवन के लिए तैयार करना, ये सभी काम आसान नहीं होते। आजकल, माता-पिता के लिए यह और भी मुश्किल हो गया है। काम का बोझ, सामाजिक दबाव, और तेज़ी से बदलती दुनिया में तालमेल बिठाना मुश्किल है। कई बार, पैसे कमाने की होड़ में माता-पिता अपने बच्चों के साथ समय बिताने का मौका नहीं दे पाते। यह एक चिंताजनक बात है क्योंकि बच्चों के विकास में माता-पिता की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। बच्चों को केवल भौतिक सुविधाएं ही नहीं, बल्कि प्यार, ध्यान, और मार्गदर्शन की भी ज़रूरत होती है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, माता-पिता और उनके बीच के संबंधों में बदलाव आना स्वाभाविक है। लेकिन कई बार, कुछ गलतियों के कारण यह बदलाव नकारात्मक हो जाता है और बच्चे माता-पिता से दूर भागने लगते हैं।

माता-पिता की किन गलतियों की वजह से दूर होते हैं बच्चे

समय की कमी: एक बड़ा मुद्दा

आज के दौर में, माता-पिता पर काम का बोझ बहुत ज़्यादा होता है। वे अक्सर देर रात तक काम करते हैं और घर पर बहुत कम समय बिता पाते हैं। इसका बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बच्चे अपने माता-पिता को कम देख पाते हैं, जिससे वे अकेला और अनदेखा महसूस करते हैं। वे अपनी भावनाओं को साझा करने के लिए किसी को नहीं ढूंढ पाते और धीरे-धीरे अपने माता-पिता से दूर होने लगते हैं। इसके अलावा, समय की कमी के कारण माता-पिता अपने बच्चों को उतना अनुशासन और मार्गदर्शन नहीं दे पाते जितना ज़रूरी होता है। बच्चे बिना किसी दिशा-निर्देश के बड़े होते हैं, जिससे वे गलत रास्ते पर भी जा सकते हैं।यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता अपने काम और बच्चों के बीच संतुलन बनाए रखें। भले ही वे व्यस्त हों, उन्हें अपने बच्चों के लिए समय निकालना चाहिए।

कम्युनिकेशन की कमी

माता-पिता और बच्चों के बीच संबंधों में समझौता न होना एक आम समस्या है। यह अक्सर गलतफहमी, संवाद की कमी और विचारों में अंतर के कारण होता है। जब माता-पिता और बच्चे एक-दूसरे की बात नहीं सुनते या एक-दूसरे के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश नहीं करते, तो इससे तनाव, झगड़े और दूरी बढ़ सकती है। बच्चों को लगता है कि उनके माता-पिता उन्हें नहीं समझते या उनका सम्मान नहीं करते। माता-पिता को लगता है कि उनके बच्चे जिद्दी हैं या उनकी बात नहीं मानते। इस स्थिति को सुधारने के लिए, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि माता-पिता और बच्चों के बीच खुला और ईमानदार संवाद स्थापित हो।

खुद से बेहतर बनाने की कोशिश

कई बार, माता-पिता और बच्चों के बीच एक प्रतिस्पर्धात्मक भावना पैदा हो जाती है। यह तब होता है जब माता-पिता अपने बच्चों को खुद से बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं या उनसे अपनी अधूरी इच्छाओं को पूरा करने की उम्मीद करते हैं। यह भावना बच्चों के लिए हानिकारक हो सकती है क्योंकि इससे उन्हें असुरक्षित और अपर्याप्त महसूस होता है। वे लगातार खुद को साबित करने की कोशिश करते रहते हैं और कभी भी पर्याप्त अच्छा महसूस नहीं करते। इसके अलावा, प्रतिस्पर्धात्मक भावना माता-पिता और बच्चों के बीच के संबंधों को भी खराब कर सकती है। बच्चे अपने माता-पिता से दूर होने लगते हैं और उन पर भरोसा करना बंद कर देते हैं।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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