Parenting Tips: क्यों नहीं पसंद बच्चों को रिश्तेदारों से मिलना? समझिए और करें दूर

Parenting Tips: बच्चों की अपनी एक अलग और अनोखी दुनिया होती है। उनके लिए रिश्तेदारों से जुड़ना या घुलने-मिलने में कई बार झिझक देखी जाती है। यह झिझक कई कारणों से हो सकती है, जो कि बच्चे की विकासात्मक उम्र और उनके छोटे से अनुभवों पर निर्भर करती है।

parenting tips

Parenting Tips: बच्चों की दुनिया एक रंगीन कल्पनालोक है, जहां अपरिचित चेहरे अक्सर डरावने राक्षसों की तरह लगते हैं। रिश्तेदारों के साथ घुलने-मिलने में उनकी झिझक, उनके विकासात्मक चरण और सीमित अनुभवों का आईना होती है। रिश्ते और रिश्तेदार जीवन के अहम हिस्से जरूर हैं, लेकिन बच्चों के लिए यह एक जटिल अवधारणा है। आइए, उन कारणों को समझते हैं जिनकी वजह से बच्चे रिश्तेदारों से मिलने में हिचकिचाते हैं, और जानते हैं कि हम उन्हें इस खास मुलाकात के लिए कैसे तैयार कर सकते हैं।

क्यों नहीं पसंद बच्चों को रिश्तेदारों से मिलना?

अपरिचितता का डर: छोटे बच्चे अक्सर अनजान लोगों से डरते या शर्म महसूस करते हैं। रिश्तेदार, खासकर यदि वे कम मिलते हैं, तो आपके बच्चे के लिए अपरिचित हो सकते हैं, जिससे उन्हें उनसे मिलने में हिचकिचाहट होती है।

सामाजिक दबाव: कुछ बच्चे बड़े समूहों में या सामाजिक परिस्थितियों में सहज महसूस नहीं करते हैं। रिश्तेदारों से मिलना उनके लिए भारी हो सकता है, खासकर अगर उनसे लगातार बात करने या खेलने के लिए कहा जाता है।

तुलना का डर: बड़े होने पर बच्चे अपने आपको दूसरों से तुलना करना शुरू कर देते हैं। यदि उन्हें लगता है कि वे किसी रिश्तेदार से कम सफल या बुद्धिमान हैं, तो वे उनसे मिलने से बच सकते हैं।

अलग रुचियां: जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनकी रुचियां और प्राथमिकताएं बदलने लगती हैं। यदि उन्हें लगता है कि उनके और उनके रिश्तेदारों के बीच कोई समान रुचि नहीं है, तो वे उनसे मिलने में रुचि नहीं दिखा सकते हैं।

असुरक्षा का भाव: छोटे बच्चों में आत्मविश्वास की कमी भी हो सकती है, खासकर जब वे नए लोगों के सामने होते हैं। रिश्तेदारों से मिलने पर उन्हें यह डर हो सकता है कि उनसे क्या बात करनी है, कैसे खेलना है, या क्या कहना है।

पढ़ाई के कारण: कई बार रिश्तेदार घर आते हैं और बच्चों से उनकी पढ़ाई के बारे में सवाल-जवाब करते हैं। यदि बच्चे उन सवालों का जवाब देने में असमर्थ होते हैं या अच्छे अंक नहीं ला पाते हैं, तो रिश्तेदार उनकी शिकायत उनके माता-पिता से कर देते हैं। इस डर से कि रिश्तेदार उनके माता-पिता से शिकायत करेंगे और उन्हें डांट पड़ेगी, बच्चे रिश्तेदारों से मिलने से बचने लगते हैं।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


About Author
भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

Other Latest News